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पिछले चार दशकों से कार्यरत, पतंजलि आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे तथा सन 1984 से जड़ी बूटियों पर कार्य रहे, जड़ी बूटियों के जानकार वासुदेव ने सत्यानाशी के पौधे के इस्तेमाल एवं उससे होने वाले विभिन्न लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की है.जानकारों की मानें तो, सत्यानाशी को स्वर्णाक्षीरी के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें तोड़ने पर उनसे पीले रंग का द्रव निकलता है, जिसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-डायबिटीक, एनाल्जेसिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई गुणकारी तत्व पाए जाते हैं. आयुर्वेद में इसके इस्तेमाल की विस्तृत जानकारी दी गई है. सत्यानाशी के पत्ते का रस, बीज का तेल, पत्तियों का लेप तथा फूलों से निकलने वाले दूध का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जाता है.