नीरज राज/बस्ती: बस्ती जनपद के गौर विकासखंड अंतर्गत चुरिहारपुर गांव में उमेश कुमार ने पारंपरिक खेती के साथ- साथ लगभग 2 बीघे में केले की खेती की है, इस खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है. इस क्षेत्र में जहां गन्ना, धान और गेहूं की खेती बहुतायत में की जाती है, वहीं इस किसान ने केले की खेती करके दिखाया है. किसान ने यह साबित किया है कि सही तकनीक और मेहनत से पारंपरिक खेती से हटकर खेती की जाय तो अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.
कैसे की जाती है केले की खेती
उमेश कुमार ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि केले की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयारी करना चाहिए. जब तक खेत की मिट्टी भुरभूरी न हो जाय तब तक जुताई करें. फिर अच्छी तरह से गड्ढे खोदकर उसमें देसी उर्वरक डालने के बाद पौधों को लगाना चाहिए. पौधों की दूरी 5 × 9 फीट और नाली से नाली की दूरी 5 फीट रखनी चाहिए. इसके अलावा जानवरों से बचाव के लिए खेत के चारों ओर जाली लगानी चाहिए. पौधे लगाने के बाद समय- समय पर रख रखाव करना पड़ता है.
केले में लगने वाली बीमारियां और बीमारियों से बचाव
उमेश कुमार बताते हैं कि केले की खेती में कुछ बीमारियां जैसे सड़न, गलन और फंगस हो सकती हैं. इन बीमारियों से बचाव के लिए उमेश कुमार ऑर्गेनिक तरीके अपनाते हैं. वह नीम तेल और नीम खली का उपयोग करते हैं. कुछ बाजार से लाते हैं तो कुछ खुद तैयार करते हैं.
कितना होता है मुनाफा
उमेश कुमार बताते हैं कि उन्होंने उद्यान विभाग से ₹21 प्रति पौधे के हिसाब से 850 केले के पौधे खरीद कर दो बीघे की ज़मीन पर इसकी खेती शुरू की. इस खेती में एक साल में लगभग 20 टन केले का उत्पादन होता है. जिससे ढाई से तीन लाख रुपये तक का मुनाफा होता है. लागत की बात करें तो पहले साल में दो बीघे की खेती पर एक लाख खर्च होते हैं, जबकि मुनाफा लगभग दो लाख तक होता है.
पारंपरिक खेती से बेहतर है ये खेती
खेत में मौजूद किसान ने बताया कि पारंपरिक खेती जैसे गन्ने की खेती में एक बीघे में अधिकतम 4 पर्ची (92 से 100) कुंतल गन्ना निकलता है, जिसकी कीमत लगभग 32 हजार से 35 हजार रुपए होती है. जबकि केले की खेती में प्रति बीघा पचास हजार की लागत आती है, लेकिन इससे डेढ़ लाख रुपये तक की आय हो जाती है, जिससे शुद्ध मुनाफा एक लाख तक होता है.
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FIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 13:02 IST