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Friday, November 8, 2024

दिवाली पर अस्थमा के मरीज इन पांच बातों का रखें खास ध्यान, बढ़ जाता है अटैक का खतरा

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देहरादून: दिवाली के उत्सव के दौरान जब हर कोई आतिशबाजी और तला-भुना भोजन का आनंद ले रहा होता है, अस्थमा और सांस से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण हो सकता है. पटाखों से होने वाले प्रदूषण और धुएं से वातावरण में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का स्तर तेजी से बढ़ जाता है, जिससे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीजों में अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ सकता है. ऐसे मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे सुरक्षित रहें और दिवाली का आनंद ले सकें.

डॉ. अनुराग अग्रवाल की सलाह
दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग अग्रवाल का कहना है कि दिवाली के दौरान पटाखों से होने वाले प्रदूषण के कारण अस्थमा और सांस संबंधी बीमारियों में अचानक वृद्धि हो जाती है. WHO के मुताबिक, दिवाली के बाद अस्थमा के मरीजों की संख्या में लगभग 38% तक की वृद्धि देखी गई है.

अस्थमा के मरीजों के लिए सुझाव
पटाखों से दूर रहें: पटाखों के धुएं में मौजूद केमिकल्स और धूल अस्थमा को बढ़ा सकते हैं. जितना संभव हो, पटाखों से दूर रहें और सुरक्षित जगह पर रहें.

इनहेलर साथ रखें: अपने कंट्रोलर इनहेलर को हमेशा अपने पास रखें और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त पफ लें. यह अस्थमा अटैक के जोखिम को कम करता है और सांस लेने में राहत देता है.

मास्क का प्रयोग करें: घर के बाहर निकलते समय मास्क पहनें. यह धुएं और धूल के संपर्क को कम कर सांस की तकलीफ को रोकने में सहायक होता है.

तला-भुना भोजन और ठंडी चीजों से बचें: अस्थमा के मरीजों को तला-भुना और ठंडा भोजन नहीं खाना चाहिए. इनसे गले और फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.

खूब पानी पिएं और फलों का सेवन करें: पर्याप्त मात्रा में पानी पीने और फल खाने से शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बनी रहती है और इम्यूनिटी भी बढ़ती है.

बुजुर्ग और अन्य संवेदनशील लोगों के लिए सुझाव
ब्रोंकाइटिस, दमा, सीओपीडी के मरीजों के साथ-साथ बुजुर्ग, डायबिटीज और किडनी के मरीजों को भी पटाखों और प्रदूषण से बचना चाहिए. डॉ अनुराग अग्रवाल बताते हैं कि सात संबंधी मरीजों को हमेशा अपने साथ कंट्रोलर इनहेलर रखना चाहिए जो अस्‍थमा अटैक पड़ने की संभावना को कम कर सकता है. आप इसे अतिरिक्त मात्रा में भी ले सकते हैं. दिवाली के समय हवा में कई ऐसे केमिकल्‍स और डस्‍ट पार्टिकल होते हैं, जिससे अस्‍थमा का दौरा पड़ सकता है. ऐसे में इनहेलर के उपयोग से जल्‍द लक्षणों पर काबू पाया जा सकता है. लेकिन अगर 2 या 3 अतिरिक्त पफ लेने पर भी आपको राहत नहीं मिलती है, तो तुरंत अस्पताल जाइये.

Tags: Dehradun news, Local18



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