हल्द्वानी: आयुर्वेद में धतूरा का विशेष स्थान है, जो न केवल भगवान शिव को प्रिय माना जाता है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की मानें तो धतूरा का उपयोग बालों के झड़ने, डैंड्रफ, सांस संबंधी समस्याओं, फेफड़ों में जमा कफ और हृदय रोगों में किया जा सकता है.
धतूरा के औषधीय गुण
काया आयुर्वेद के प्राचार्य वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डॉ़ विनय खुल्लर ने कहा कि आयुर्वेद में धतूरा को अलग-अलग स्थानों पर कई नामों से जाना जाता है. जैसे कि मदन, उन्मत्त, शिवप्रिय, महामोही, कृष्ण धतूरा, खरदूषण, शिव शेखर, सविष, धतूरा, सादा धतूरा, धोत्रा ततूर, दतुरम. भारत में धतूरा की कई प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन कुछ प्रजातियों का ही औषधीय उपयोग किया जाता है. क्योंकि कुछ प्रजातियां बेहद जहरीली होती हैं. धतूरा के सूखे पत्ते एवं बीज का औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है जो हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.
जोड़ों के दर्द और सूजन में लाभकारी
धतूरा जोड़ों के दर्द, पैरों में सूजन और भारीपन में राहत देने के लिए प्रभावी है. इसके लिए धतूरा की पत्तियों का लेप बनाकर प्रभावित जगह पर लगाया जा सकता है. इसकी गर्म तासीर मांसपेशियों की सिकाई कर उन्हें आराम प्रदान करती है.
दमा के उपचार में धतूरा
दमा से पीड़ित लोगों के लिए भी धतूरा फायदेमंद हो सकता है. इसके उपयोग के लिए धतूरा को अपामार्ग और जवासा जैसी जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर चूर्ण बनाएं. इस चूर्ण की महक सूंघने से सांस से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 12:56 IST
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