Charcoal Clean Skin: स्किन हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है. यह हमारा आवरण है और बीमारियों से बचाने की पहली रक्षात्मक पंक्ति भी. स्किन अगर तंदुरुस्त हो तो आपका चेहरा हमेशा चमकता रहता है लेकिन आजकल जिस तरह से पॉल्यूशन और तरह-तरह के हानिकारक केमिकल की मार स्किन पर पड़ रही है, उसमें हर व्यक्ति की स्किन समय से पहले मुरझाने लगी है. इससे 30 साल का इंसान भी 50 का दिखने लगता है. स्किन की चमक गायब होने की कई वजहें हैं लेकिन प्रदूषण से निकलने वाले हानिकारक टॉक्सिन, जहरीली रसायन इसके सबसे बड़े गुनहगार है. ये विषैले कण हमारी स्किन के पोर्स यानी रोमछिद्र को बंद कर देते हैं जिसके कारण सेल्स से जरूरी चीजें बाहर नहीं निकल पाती है. जब स्किन के पोर्स खुले रहेंगे तो इससे आपकी स्किन को पोषण भी मिलता रहेगा और ताजगी भी बरकरार रहेगी.प्रदूषण के इस मौसम में स्किन के पोर्स को खोलने का एक सॉलिड उपाय है. एक्सपर्ट का कहना है कि स्किन के पोर्स को खोलने के लिए चारकोल बेहद कीमती हीरा है. इसलिए इसे ब्लैक डायमंड भी कहा जाता है.
स्किन से टॉक्सिन को बाहर निकालता है चारकोल
इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर.पी. पाराशर ने बताया कि जब स्किन के पोर्स बंद हो जाते हैं तो स्किन के अंदर जमे टॉक्सिन बाहर नहीं निकल पाते हैं. इससे स्किन मुरझाने लगती है और स्किन में कई तरह की बीमारियां हो सकती है. स्किन के पोर्स बंद होने से स्किन का सीबम भी बाहर नहीं निकलता है. इस कारण कील-मुहांसे शुरू होने लगते हैं और चेहरा खराब होने लगता है. इन सारी चीजों में यदि आप एक्टिवेटेड चारकोल का इस्तेमाल करेंगे तो स्किन के सारे पोर्स खुलने लगेंगे. इससे कील-मुंहासे भी चारकोल से दूर हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि एक्टिवेटेड चारकोल स्किन में एब्जॉर्व नहीं होता.यानी यह स्किन में नहीं रहता. यह सिर्फ स्किन को पोर्स से गंदगी निकालकर खुद भी स्किन से बाहर निकल जाता है. चारकोल मुंहासों में मौजूद विषैले तत्वों और रोगाणुओं को अवशोषित कर लेता है और इस तरह यह स्किन के सेल्स को डैमेज नहीं होने देता. यह स्किन के डेड सेल को भी निकाल देता है. एक्टिवेटेड चारकोल सीबम बनने की प्रक्रिया को संतुलित और नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. इस कारण मुंहासे नहीं बन पाते हैं. डॉ. पाराशर ने बताया कि यही कारण है कि चारकोल को ब्लैक डायमंड कहा जाता है.
कैसे बनता है एक्टिव चारकोल
आयुथवेदा के निदेशक डॉ.संचित शर्मा ने एक्टिवेटेड चारकोल को बनाने के बारे में कहा कि इसे आमतौर पर बांस से बनाया जाता है. हालांकि इसे अन्य लकड़ियों से भी बनाया जा सकता है लेकिन कानूनी अड़चनों की वजह से बांस ही बेहतर विकल्प है. इसे बनाने का प्रोसेस बहुत जटिल है. पहले बांस को उच्च तापमान पर कार्बोनाइज्ड किया जाता है जिससे इसके सरफेस और वजन का अनुपात 1200:1 हो जाता है. इसी प्रक्रिया से तैयार एक्टिव चारकोल वाला फेसवॉश स्किन से गंदगी निकाल सकता है. यह स्किन से अतिरिक्त तेल को भी सोख लेता है और प्रदूषण के दुष्प्रभावों को भी बचाता है. जब आपको बहुत ज्यादा पसीना आए तो उससे जो गंदगी स्किन के अंदर जाती है उसे भी यह आसानी से खत्म कर देता है. डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि चारकोल आजकल बेहद पॉपुलर हो रहा है. यूरोपीय मार्केट में यह पहले से खूब चल रहा है. चारकोल प्रदूषण से डैमेज स्किन को खत्म करने में बेहद उपयोगी साबित हो सकता है.
कैसे काम करता है चारकोल
रिव्यू ऑफ ग्रीन सिंथेसिस: एक्टिवेटेड चारकोल टू रिड्यूस सिबम नाम से प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि एक्टिवेटेड चारकोल की संरचना छिद्रपूर्ण होती है. इसमें निगेटिव आयंस होते हैं. दूसरी ओर स्किन में जो विषैले पदार्थ मौजूद होते हैं वे पॉजिटिव आयंस के होते हैं. इन कणों को चारकोल की संरचना अपने में समा लेती है. चूंकि एक्टिवेटेड चारकोल स्किन में एब्जॉर्व नहीं होती, इसलिए जब आप चेहरे को पानी से साफ करेंगे तो यह अपने साथ में टॉक्सिन को लेते हुए बाहर निकल जाएगा. चारकोल के गुणों के कारण इसका इस्तेमाल सदियों से सौंदर्य बढ़ाने में किया जाता रहा है. मिस्र से इसकी शुरुआत मानी जाती है. तब इसे घाव को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. आजकल एक्सपर्ट भी चारकोल का इस्तेमाल करने की सलाह देते है. यही कारण है कि आजकल क अधिकांश फेश वॉश में चारकोल का इस्तेमाल किया जाता है. एक्टिवेटेड चारकोल दवा दुकानों में भी खूब मिलते हैं.
FIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 12:39 IST