मिथिला की संस्कृति में पान के पत्ते का एक विशेष स्थान है. धार्मिक अनुष्ठानों में पान के पत्ते का होना अनिवार्य माना जाता है. ये पत्ते न केवल पूजा में श्रद्धा का प्रतीक होते हैं, बल्कि इसके साथ-साथ ये स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों का भी महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. पान के पत्तों का उपयोग विवाह समारोहों, तीज-त्योहारों, और अन्य धार्मिक अवसरों पर किया जाता है, जिससे ये क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है.
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