कांगड़ा: पुठकंडा एक अत्यंत उपयोगी औषधीय पौधा है, जिसे आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. यह पौधा पाचन समस्याओं, श्वसन विकारों, त्वचा रोगों, और किडनी स्टोन जैसी समस्याओं के उपचार में सहायक माना जाता है. इसके पत्तों से बने काढ़े का उपयोग पाचन शक्ति को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, जबकि जड़ें और बीज श्वसन तंत्र को साफ करने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.
सब्जी के रूप में भी करें इस्तेमाल
इसकी पत्तियों को सब्जी के रूप में भी खाया जा सकता है, और इसके बीज व जड़ें विभिन्न हर्बल दवाओं में मिलाए जाते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं. ये घाव भरने में भी सहायक है. इसके अतिरिक्त, इसका पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसे घावों को भरने और कीड़ों के काटने के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है.
पूजा और आध्यात्मिक उपयोग
पूजा और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए भी इसका उपयोग होता है. इस पौधे का पाक और औषधीय उपयोग इसे एक बहुमूल्य जड़ी-बूटी बनाता है, जिसे आधुनिक जीवनशैली में भी अपनाया जा सकता है. पुठकंडा की जड़ को लेकर पूर्णिमा को विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए और इसे मंत्रों से अभिमंत्रित करके हाथ में बांधने से बड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
प्राकृतिक चिकित्सा में योगदान
पुठकंडा न केवल स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि इसके उपयोग से प्राकृतिक चिकित्सा के लाभ भी प्राप्त किए जा सकते हैं. कृषि वैज्ञानिक भव्य ने बताया कि पुठकंडा, अपामार्ग या चिरचिटा के नाम से जाना जाने वाला एक पौधा है. यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसके कई फायदे हैं. अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को दिन में दो-तीन बार ठंडे पानी के साथ लेने से हैजा ठीक होता है. अपामार्ग के पत्तों का रस निकालकर उसमें थोड़ा पानी और मिश्री मिलाकर पीने से भी हैजा में फायदा होता है.
Tags: Himachal pradesh, Kangra News, Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 16:05 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.