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Tuesday, October 22, 2024

अब होगी छप्परफाड़ कमाई…इस विधि से एक आलू के होंगे 5 पौधे, कम लागत में उत्पादन होगा डबल!

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फर्रुखाबाद: अगर आप आलू की खेती करने की सोच रहे हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि कौन सी किस्म का आलू लगाने जा रहे हैं. इसके साथ ही, आलू के आकार और बुवाई की तकनीक पर भी ध्यान देना आवश्यक है. छोटे आकार के आलू की बुवाई से फसल बेहतर होती है, लेकिन अगर आपके पास बड़े आकार के आलू हैं और उन्हें काटकर बुवाई करना चाहते हैं, तो आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना होगा.

किसान अजय वीर ने लोकल18 को बताया कि बड़े आलू की कटिंग उन्हीं हिस्सों में की जाती है, जहां पर “आंखें” होती हैं. आलू की आंख वह छोटा छिद्र होता है, जिससे कोमल अंकुर निकलते हैं. कटिंग करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर कटे हुए भाग में एक या अधिक आंखें होनी चाहिए. इसके बाद इन टुकड़ों को कुछ समय तक सुखाने के बाद ही बुवाई करनी चाहिए, जिससे अंकुरण सही हो सके.

कटिंग वाले आलू का महत्व
कमालगंज क्षेत्र के अहमदपुर देवरिया के किसान बताते हैं कि बड़े आलू को काटकर बोने से पौधा ताकतवर होता है और फसल का उत्पादन भी अधिक होता है. इसलिए किसान अक्सर कटिंग किए हुए आलू की बुवाई करते हैं. हालांकि, यह ध्यान रखना चाहिए कि कटे हुए आलू को तुरंत न बोया जाए, बल्कि उसे सूखने दिया जाए. सूखे हुए आलू के टुकड़े खेत में बुवाई के लिए उपयुक्त होते हैं, और इसमें खेत की नमी भी महत्वपूर्ण होती है. यदि नमी पर्याप्त न हो, तो आलू के टुकड़े गल सकते हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है.

आलू की प्रचलित किस्में
फर्रुखाबाद क्षेत्र में इस समय आलू की कई प्रजातियां उगाई जा रही हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
कुफरी बाहर, कुफरी चिप्ससोना, कुफरी लीमा, कुफरी संगम, कुफरी मोहन, कुफरी नीलकंठ, कुफरी पुखराज, कुफरी गरिमा, कुफरी ज्योति, कुफरी सूर्या, कुफरी चंद्रमुखी और कुफरी बादशाह इन प्रजातियों के चयन और सही तकनीक से आलू की बुवाई करने से बेहतर और उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त की जा सकती है.

Tags: Agriculture, Local18



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