बाराबंकी: वैसे किसान पारंपरिक खेती के अलावा फूलों की खेती से भी काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. फूलों की खेती के तहत किसान जरबेरा की खेती करके लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं. आज कई किसान जरबेरा की खेती करके काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे हैं. खास बात यह है कि जरबेरा की खेती के लिए सरकार की ओर से किसानों को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है.
खेती के लिए दूसरे किसानों को कर रहे प्रोत्साहित
ऐसे में किसान बहुत ही कम लागत में जरबेरा की खेती करके काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं. इसकी डिमांड भी काफी अधिक है, ऐसे में जरबेरा की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. वहीं, राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना और संरक्षित खेती के तहत किसानों को पॉली हाउस तकनीक से फूलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
बीपीएड करने के बाद शुरू की फूलों की खेती
जिले के युवा किसान ने जरबेरा के फूलों की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. जिसके लिए वह कई सालों से जरबेरा के फूलों की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं. बाराबंकी जिले के लक्ष्मन पुर गांव के रहने वाले किसान नीरज पटेल ने बीपीएड करने के बाद फूलों की खेती की शुरुआत की. जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा देखने को मिल रहा है. आज वह एक पॉली हाउस लगाकर जरबेरा फूलों की खेती कर रहे हैं. इस खेती से उन्हें लगभग 7 से 8 लाख रुपए मुनाफा हर साल हो रहा है.
फूलों की खेती को लेकर किसान ने बताया
जरबेरा फूलों की खेती करने वाले किसान नीरज पटेल ने लोकल18 से बताया कि वह पढ़ाई करने के साथ-साथ खेती किसानी में भी रुचि रखते हैं. एक दिन वह उद्यान विभाग के एक कार्यक्रम में गए थे. वहां उसे जरबेरा के फूलों की खेती के बारे में जानकारी हुई, तो वह एक एकड़ में इसकी खेती की. इसके बाद एक पॉली हाउस भी बना दिया.
सालाना होती है 8 लाख की बचत
किसान ने बताया उनके पास एक पॉली हाउस है. इसमें लागत की बात करें, तो करीब 70 से 75 लाख रुपए आती है. इसमें करीब 25 हजार पौधा तैयाह हो जाता है, जो कि रोज 25% प्रोडक्शन देता है. इसको एक बार लगाने के बाद 6 सालों तक पौधा चलता है. वहीं, मुनाफे की बात करें, तो करीब 1 साल में उसकी 7 से 8 लाख रुपए की आराम से बचत हो जाती है.
पॉली हाऊस में लोगों को मिला रोजगार
किसान ने बताया कि उसकी जरबेरा की खेती इजरायली टेक्नोलॉजी पर है, जो ड्रिप विधि से कर रहे हैं. वह ड्रिप के जरिये इन पौधों में बूंद-बूंद पानी देते हैं. इससे पानी की बचत होती है और हमारे फसल की पैदावार भी अच्छी होती है, जिसमें उन्हें सरकार की तरफ से 50% का अनुदान भी मिलता है. साथ ही 30 लाख रुपए की सब्सिडी भी मिल जाती है. साथ ही यहां पॉली हाऊस में कई लोगों को रोजगार भी मिला है.
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FIRST PUBLISHED : October 13, 2024, 09:52 IST