पीलीभीत. उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला जंगली जानवरों के हमलों के लिहाज से काफी अधिक संवेदनशील है. यहां जंगली जानवरों के हमले की अधिकांश घटनाएं खेतों पर काम करने या फिर खेतों के आसपास ही घटित होती हैं. इन दिनों धान की कटाई चल रही है ऐसे में जंगली जानवरों के हमलों का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है. ऐसे में कुछ किसान फसल कटाई के दौरान कुछ मामूली सी बातों का ध्यान रख ऐसे हमलों से बच सकते हैं. हिमालय के शिवालिक पर्वतमाला की तराई में बसा पीलीभीत जिला प्रमुख रूप से कृषि प्रधान जिला है. यहां की अधिकांश आबादी कृषि संबंधित कार्यों पर आश्रित है. प्रमुख रूप से यहां पर परंपरागत फसलों की खेती की जाती है.
वैसे तो अधिकांश किसान फसल कटाई के दौरान खुश होते हैं. लेकिन पीलीभीत के सैकड़ों गांव ऐसे हैं जो डर के साए फसलों की कटाई करते हैं. दरअसल पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के जंगलों का अधिकांश हिस्सा कोर फ़ॉरेस्ट है. ऐसे में जंगल की सीमा ख़त्म होते ही खेत शुरू हो जाते हैं. वहीं इन खेतों में भी धान, गन्ना जैसी फसलें उगाई जाती हैं. कई बार जंगली जानवर इन फसलों में अपना डेरा जमा लेते हैं. पूर्व में कई ऐसे मामले देखे गए हैं जिनमें फ़सल की कटाई के दौरान बाघ व तेंदुए किसानों पर हमलावर हुए हैं. ऐसे में इन हमलों से कैसे बचा जा सकता है इस पर लोकल 18 टीम ने पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह से ख़ास बातचीत की है.
मनीष सिंह बताते हैं कि धान की कटाई के दौरान देखा जाता है कि खेतों में छिपे वन्यजीव आक्रामक हो जाते हैं. वर्तमान में ज़िले में धान कटाई चल रही है ऐसे में ग्रामीणों से संपर्क स्थापित कर उन्हें जागरूक किया जा रहा है. किसानों को फसल कटाई के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.
FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 12:59 IST