भारत सरकार जल्द ही देश में चीनी निर्मित निगरानी उपकरणों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। हाल ही में लेबनान में हुए पेजर धमाकों के बाद इस दिशा में कदम तेज कर दिए गए हैं। सरकार स्थानीय विक्रेताओं को बढ़ावा देने के लिए निगरानी बाजार में नए दिशा-निर्देशों को तेजी से लागू करने की योजना बना रही है। पेजर धमाकों के मद्देनजर, भारत सरकार सप्लाई चैन पर गहराई से नजर डालेगी। बता दें कि इजरायल ने 18 सितंबर को लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह के कार्यकर्ताओं के हजारों पेजर और मोबाइल उपकरणों में विस्फोट कर दिया था। इसमें कई लोग मारे गए थे। ये हमले पेजर और अन्य उपकरणों में पहले से छिपाकर रखे गए विस्फोटक से किए गए थे।
इकोनॉमिक टाइम्स (ET) की रिपोर्ट अनुसार, भारत सरकार की नई नीति 8 अक्टूबर से प्रभावी हो सकती है, जो चीनी कंपनियों को बाजार से बाहर कर भारतीय कंपनियों को फायदा पहुंचाएगी। इस साल मार्च और अप्रैल में अधिसूचनाएं जारी की गई थीं, लेकिन लेबनान धमाकों के बाद सुरक्षा पर बढ़ते फोकस के साथ, इन दिशा-निर्देशों को तेजी से लागू किया जा रहा है। सरकार सीसीटीवी कैमरों पर दिशा-निर्देशों को तेजी से लागू करने की तैयारी कर रही है। नए नियम केवल “विश्वसनीय स्थानों” से कैमरे की बिक्री और खरीद की अनुमति देंगे।
रिपोर्ट में काउंटरपॉइंट रिसर्च के एक एक्सपर्ट के हवाले से लिखा गया है कि वर्तमान में, CP प्लस, हिकविजन और दहुआ भारतीय बाजार के 60% से अधिक हिस्से को कंट्रोल करते हैं। जहां CP प्लस एक भारतीय कंपनी है, वहीं हिकविजन और दहुआ चीनी कंपनियां हैं। नवंबर 2022 में, अमेरिकी सरकार ने हिकविजन और दहुआ के उपकरणों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था, क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को “स्वीकार्य खतरा” बताया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में भारत सरकार ने चीनी सीसीटीवी उपकरणों के टेंडर अस्वीकार करना शुरू कर दिया है और यूरोपीय कंपनियों जैसे बोश को प्राथमिकता दी है। बोश के उपकरण चीनी उपकरणों की तुलना में 7 से 10 गुना अधिक महंगे माने जाते हैं। एक अन्य सूत्र ने बताया, “सीसीटीवी को लेकर जोर पेजर धमाकों से पहले का है।” सुरक्षा प्रमाणन पर दिशा-निर्देश मार्च में जारी किए गए थे और अक्टूबर में लागू होंगे। इसका मुख्य कारण संभावित डेटा लीक की चिंता है, क्योंकि सीसीटीवी कैमरे संवेदनशील स्थानों पर लगाए जाते हैं और लोगों की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि केवल विश्वसनीय स्थानों से ही कैमरे खरीदे जाएं। “विश्वसनीय स्थान” वह होता है जहां भारतीय सरकार को पूरी मैन्युफैक्चरिंग चैन की जानकारी होती है और वह आश्वस्त होती है कि उपकरणों में कोई ऐसा बैकडोर नहीं है जो डेटा को लीक या चोरी कर सके।