कांग्रेस अध्यक्ष एम मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ खड़ी है और उनका समर्थन करेगी क्योंकि वह मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही जांच का सामना कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि ना तो आरोपपत्र दाखिल किया गया है और ना ही उन्हें दोषी ठहराया गया है। खरगे ने एक सवाल के जवाब में कहा, ”जब गोधरा कांड हुआ था, तो क्या (नरेन्द्र) मोदी जी ने (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के पद से) इस्तीफा दे दिया था? उस समय उनके खिलाफ भी कई मामले लंबित थे, यहां तक कि शाह (केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह) के खिलाफ भी।”
भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने के नैतिक अधिकार पर सवाल उठाने पर एक सवाल के जवाब में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने की बात कही गई है। यहां संवाददाताओं से बातचीत में खरगे ने कहा, ”किसी व्यक्ति विशेष की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए उसे निशाना न बनाएं, उसकी वजह से पार्टी को भी नुकसान होगा। आपकी (भाजपा की) रुचि कांग्रेस पार्टी को नुकसान पहुंचाने में है, किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने में नहीं। आज वह यहां हो सकते हैं या नहीं हो सकते हैं, लेकिन पार्टी काम करती रहेगी। सिर्फ कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के आधार वोट को नष्ट करने के लिए वह (भाजपा) ऐसा कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि कानून को अपना काम करने दीजिए और जब कोई स्थिति आएगी तो पार्टी उस समय इसकी समीक्षा करेगी। खरगे ने कहा, ”अब वहां कुछ भी नहीं है, (लेकिन) हर दिन मैं देख रहा हूं कि एमयूडीए, एमयूडीए। करोड़ों रुपये कई उद्योगपति निगल गए, उनके 16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए गए और अब आप एक छोटे से मुद्दे को लेकर लड़ रहे हैं। इसके अलावा ना तो आरोपपत्र दाखिल किया गया है और ना ही वह दोषी ठहराए गए हैं। प्रतिदिन यही खबर है। मैं इन सब चीजों को देखकर तंग आ चुका हूं।”
यह पूछने पर कि क्या प्राथमिकी दर्ज हो जाने पर भी पार्टी आलाकमान सिद्धारमैया के साथ खड़ा रहेगा, खरगे ने कहा, ”यह काल्पनिक सवाल है। हम उनके साथ खड़े हैं, हम उनका समर्थन करेंगे क्योंकि वह पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं, ना कि वह केवल एक व्यक्ति हैं।” एक विशेष अदालत ने बुधवार को लोकायुक्त पुलिस को आदेश दिया था कि वह सिद्धारमैया के खिलाफ इस मामल में जांच करे। एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले में, यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी को मैसुरु के एक पॉश इलाके में प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किया गया जिसका मूल्य एमयूडीए द्वारा अधिग्रहीत की गई उनकी भूमि की तुलना में अधिक था।
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे। पार्वती की भूमि पर इसने एक आवासीय परियोजना विकसित की थी। विवादास्पद योजना के तहत, एमयूडीए ने आवासीय लेआउट के लिए भूमि देने वालों को उनकी अविकसित भूमि के बदले में विकसित भूमि का 50 प्रतिशत आवंटित किया गया।