पश्चिम बंगाल की ही तरह पड़ोसी राज्य ओडिशा में भी सख्त एंटी रेप लॉ बनाने की मांग उठी है। राज्य के मुख्य विपक्षी दल बीजू जनता दल (BJD) और कांग्रेस ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में हाल ही में पारित कानून की तर्ज पर ओडिशा में भी महिला सुरक्षा के लिए एक सख्त कानून बनाने की मांग की है। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने मंगलवार को सर्वसम्मति से सख्त अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया, जिसमें अन्य प्रावधानों के अलावा पीड़िता की मौत की स्थिति में दुष्कर्मी के लिए मृत्युदंड की सिफारिश की गयी है। विधेयक में दुष्कर्म के दोषियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास की भी सिफारिश की गयी है।
ओडिशा विधानसभा में गुरुवार को चर्चा के दौरान विपक्षी दलों बीजद और कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार बलात्कार पीड़ितों के प्रति संवेदनशील नहीं है। विपक्षी दलों ने ये भी आरोप लगाया कि जून में राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद से बालासोर जिले के रेमुना, संबलपुर जिले के नकटीदुला, क्योंझर जिले के पटाना और भुवनेश्वर में हुए बलात्कार-हत्या मामलों के पीड़ितों के परिजनों से ना तो प्रशासन का कोई अधिकारी मिला है और ना ही उसे कोई सहायता पहुंचाई गई है।
राज्य में बलात्कार-हत्या के मामलों की संख्या में कथित इजाफे पर विधानसभा में बहस की शुरुआत करते हुए विपक्ष की मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने दावा किया कि राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की घटनाओं में चिंताजनक रूप से वृद्धि हुई है। बालासोर जिले के रेमुना में बलात्कार और हत्या की पीड़िता के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे की मांग करते हुए मलिक ने कहा कि 27 अगस्त को नौ वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की गई, लेकिन सरकार के प्रतिनिधि अभी तक उनके घर नहीं जा सके हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के गृह जिले क्योंझर का भी एक उदाहरण दिया, जहां एक लड़की का अपहरण करने के बाद उसके साथ बलात्कार किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई। कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद सख्त कानून बनाने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की सराहना करते हुए मल्लिक ने कहा, “ओडिशा की भाजपा सरकार में पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति संवेदनशीलता और सहानुभूति की कमी है।”
मल्लिक ने कहा कि ओडिशा की भाजपा सरकार को भी महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए राज्य में पश्चिम बंगाल जैसा ही कानून लाना चाहिए। मल्लिक ने आरोप लगाया कि माझी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले तीन महीनों में महिलाओं और बच्चों पर अत्याचारों में काफी वृद्धि हुई है, इसलिए “ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है, क्योंकि अपराधियों में कोई डर नहीं है।”
वरिष्ठ कांग्रेस विधायक ताराप्रसाद बहिनीपति ने भी आरोप लगाया कि ओडिशा में महिलाएं और बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। बहिनीपति ने बीजद और भाजपा दोनों से एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने से बचने का आग्रह करते हुए कहा कि राज्य सरकार को महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में समयबद्ध तरीके से न्याय प्रदान करने के लिए कड़े प्रावधानों वाला नया कानून लाकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस की महिला विधायक सोफिया फिरदौस ने भी महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय आरोप-प्रत्यारोप में लिप्त होने के लिए भाजपा और बीजद दोनों पर निशाना साधा।
मुख्यमंत्री और गृह विभाग के प्रभारी मोहन चरण माझी की ओर से जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री मुकेश महालिंग ने दावा किया कि पुलिस ने घटना की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर ही कुछ मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। महालिंग ने कहा कि भाजपा सरकार महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और कानून अपना काम कर रहा है। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट बीजद और कांग्रेस के दोनों सदस्यों ने बाद में विरोध जताते हुए सदन से वॉकआउट किया।
बता दें कि अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024 में हाल ही में पारित भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 कानूनों और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, ताकि पश्चिम बंगाल में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के जघन्य कृत्य की त्वरित जांच और सुनवाई के लिए रूपरेखा का निर्माण किया जा सके तथा दोषियों के लिए दंड बढ़ाया जा सके। प्रस्तावित कानून की अन्य महत्वपूर्ण विशेषताओं में प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर बलात्कार के मामलों की जांच पूरी करना, पिछली दो महीने की समय सीमा में कमी करना और एक विशेष टास्क फोर्स का गठन करना शामिल है, जहां महिला अधिकारी जांच का नेतृत्व करेंगी।