निर्मल कुमार राजपूत / मथुरा: श्री कृष्ण का जन्म भले ही मथुरा में हुआ हो. लेकिन उनकी लीलाओं की स्थली के रूप में वृंदावन को अधिक महत्व दिया जाता है. श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ यमुना के किनारे खेलते थे और गोचरण लीला का आनंद लेते थे. लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें वृंदावन छोड़ना पड़ा. यह सवाल आज भी लोगों के मन में बना हुआ है कि आखिर उन्होंने वृंदावन क्यों छोड़ा. इसकी वजह प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रदेव महाराज ने बताई है, आइए जानें.
भगवान श्री कृष्ण का जन्म कंस की कारागार में हुआ था. जन्म के तुरंत बाद वासुदेव उन्हें यमुना के पार गोकुल लेकर गए. जहां उन्होंने नंद बाबा के घर कृष्ण को छोड़ा. जैसे-जैसे श्री कृष्ण बड़े होते गए, वे वृंदावन में अपने सखाओं के साथ गोचरण लीला करते और वट वृक्षों के नीचे बैठकर बांसुरी बजाते थे. लेकिन कंस का अत्याचार मथुरा में बढ़ता ही जा रहे था, जिससे आम जनता बहुत परेशान थी. श्री कृष्ण के मन में वृंदावन छोड़ने का दुःख था. लेकिन उन्हें अपने कुख्यात मामा कंस का अंत करने के लिए मथुरा जाना पड़ा.
11 वर्ष 53 दिन की आयु में छोड़ दिया वृंदावन
इंद्रदेव महाराज ने बताया कि श्री कृष्ण ने 11 वर्ष 53 दिन की आयु में वृंदावन छोड़कर मथुरा की ओर प्रस्थान किया. कंस, जो अपने पिछले जन्म में कलानिधि नामक एक राक्षस था और जिसे भगवान विष्णु ने मारा था. वही कंस अब मथुरा में अत्याचार कर रहा था. श्री कृष्ण ने मथुरा जाकर कंस का अंत किया और वहां 13 वर्षों तक रहे. इस दौरान उन्होंने मगध के राजा जरासंध को 17 बार पराजित किया था.
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FIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 11:51 IST
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