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Saturday, October 5, 2024

कोलकाता कांड पर दो फाड़ हुई TMC? तीन तरफ से कैसे घिरीं ममता बनर्जी, भतीजे अभिषेक बनर्जी ने भी बनाई दूरी

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी इन दिनों तीन-तीन मोर्चों पर घिरी हुई हैं। कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के मामले में वह राजनीतिक स्तर पर पहले से ही विपक्षी दलों का वार झेल रही हैं। अब वह इस मामले में प्रशासनिक और न्यायिक मोर्चे पर भी घिर चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ही इस मामले में हुई हीला-हवाली पर ममता सरकार को फटकार लगाई है और गहरी नाराजगी जताई है। अब ममता को घरेलू मोर्चे पर भी संकट का सामना करना पड़ रहा हा।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले ममता बनर्जी के भतीजे, पार्टी महासचिव और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी इन दिनों पार्टी के कार्यक्रमों खासकर कोलकाता कांड पर हो रहे ममता बनर्जी के विरोध-प्रदर्शनों और मार्च से खुद को दूर रखे हुए हैं। कहा जा रहा है कि अभिषेक कोलकाता कांड से निपटने के तौर-तरीकों से नाखुश है।

कहा जा रहा है कि अभिषेक बनर्जी ने पिछले कुछ दिनों से पार्टी के मीडिया प्रबंधन से भी खुद को अलग कर लिया है। इस बीच टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सोमवार को मीडिया के साथ पार्टी की कनेक्टिविटी मजबूत करने और मीडिया निगरानी के लिए एक नई चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। बड़ी बात है कि लोकसभा चुनावों के दौरान अभिषेक बनर्जी ही पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभाल रहे थे। उन चुनावों में पार्टी ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए राज्य की कुल 42 में से 29 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।

संसद के बजट सत्र में भी अभिषेक लोकसभा में आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए दिखाई दिए थे लेकिन जब से आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के कथित रेप एंड मर्डर पर हंगामा शुरू हुआ है, तब से वह चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने सिर्फ़ एक बार अपनी चुप्पी तोड़ी, जब 14-15 अगस्त को महिलाओं के ‘रिक्लेम द नाइट’ विरोध प्रदर्शन के दौरान गुंडों के एक गिरोह ने आर जी कर अस्पताल में तोड़फोड़ की थी।

तब उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया था, “आरजी कर में गुंडागर्दी और बर्बरता ने सभी स्वीकार्य सीमाओं को पार कर दिया है। एक जनप्रतिनिधि के रूप में मैंने @CPKolkata से बात की, उनसे आग्रह किया कि वे सुनिश्चित करें कि हिंसा के लिए जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति की पहचान की जाए, उसे जवाबदेह ठहराया जाए और अगले 24 घंटों के भीतर कानून का सामना करने के लिए तैयार किया जाए, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो।” उन्होंने यह भी लिखा कि प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की मांगें उचित और न्यायसंगत हैं और जरूरी हैं जिसकी उन्हें सरकार से उम्मीद करनी चाहिए। उनकी सुरक्षा और संरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

अभिषेक बनर्जी की इस टिप्पणी को राज्य सरकार और पुलिस बल द्वारा मामले को निपटने के तौर-तरीकों की आलोचना के रूप में देखा गया। अभिषेक बनर्जी के बाद टीएमसी के एक और सांसद शुखेंदु शेखर रॉय भी इसी तरह पुलिस पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद कोलकाता पुलिस ने उन्हें समन जारी किया है। अभिषेक बनर्जी को लेकर पार्टी में पहले से भी गतिरोध बना हुआ है। ममता बनर्जी के पुराने साथियों को जहां ओल्ड गार्ड्स समझा जाता है वहीं अभिषेक बनर्जी को युवा तुर्क समझा जाता है और वह पार्टी में युवाओं को आगे बढ़ाने पर काम करते रहे हैं, जबकि पार्टी के पुराने दिग्गज पार्टी पर अपनी पकड़ छोड़ना नहीं चाह रहे। ममता इस गुटबाजी से पहले से ही वाकिफ हैं लेकिन चुनावों में उन्होंने इसे मैनेज कर लिया था।



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