8.1 C
Munich
Wednesday, November 20, 2024

कश्मीर में मॉनसून से पहले घुसपैठ बनी बड़ी चुनौती, लॉन्चिंग पैड पर 60-70 आतंकी एक्टिव

Must read


ऐप पर पढ़ें

मॉनसून से पहले जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने में सफल हुए आतंकी अब बड़ी चुनौती बन गए हैं। एजेंसियां मान रही हैं कि जम्मू रीजन में हमलों में तेजी और सेना सहित सुरक्षा बलों को निशाने पर लेने वाले ज्यादातर आतंकी विदेशी हैं। एजेंसियों के अनुसार आतंकियों का प्रशिक्षण सीमापार हुआ है और ये जम्मू में स्थानीय मददगारों की सहायता से हमलों को अंजाम दे रहे हैं। हालांकि घुसपैठरोधी तंत्र-एंटी इंफिल्ट्रेशन ग्रिड की मजबूती के बाद भी सीमापार से आतंकियों की घुसपैठ और हमलों में तेजी से सुरक्षा बल और एजेंसियां हैरान हैं। इसे स्थानीय स्तर पर खुफिया तंत्र की कमजोरी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही किन नए इनाकों और तरीकों का इस्तेमाल घुसपैठ के लिए किया जा रहा है यह भी सुरक्षा तंत्र के लिए बड़ी चुनौती है। 

सूत्रों ने कहा कि आतंकियों ने कश्मीर में सख्ती के बाद से जम्मू में अपना तंत्र मजबूत करना शुरु कर दिया था। अगर समय रहते जम्मू को लेकर भी खुफिया जानकारी सटीक तरीके से मिलती तो हमलों को रोकना संभव हो सकता था।

कट्टर पाक आतंकियों से गंभीर खतरा

सुरक्षाबलों का मानना ​​है कि कट्टर पाकिस्तानी आतंकवादियों से खतरा अधिक गंभीर है। इनकी वजह से ही जम्मू में हाल के दिनों में आतंकी हमले तेजी से बढ़े हैं। कई बड़े हमले जम्मू में हुए हैं। सूत्रों ने कहा कि नियंत्रण रेखा के पार लॉन्च पैड पर लगभग 60 से 70 आतंकवादी एक्टिव हैं। गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की रणनीति शिफ्ट हुई है। पिछले 2-3 सालों से आतंकवादी जम्मू में रुक-रुककर हमले कर रहे हैं। विशेष रूप से 2023 में 43 आतंकवादी हमले और 2024 में अब तक 25 हमले हुए है।

नागरिक के रूप में आतंकियों का प्रवेश

जम्मू क्षेत्र के विशाल और जटिल इलाके का उपयोग पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) और एलओसी के पार सशस्त्र आतंकवादियों को भेजने के लिए किया जाता है। ये कभी-कभी सुरंगों का भी उपयोग करते हैं। ड्रोन का इस्तेमाल कर हथियार भेजे जाते हैं। आतंकवादी नागरिकों के रूप में भी प्रवेश करते है और स्थानीय गाइडों की सहायता से छिपने के जगह और हथियार इकट्ठा करते हैं। मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने और स्थानीय लोगों के समर्थन के कारण लश्कर और जैश मॉड्यूल को ट्रैक करने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा।



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article