निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा: यूपी के मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की पग-पग पर लीलाओं का दीदार आपको देखने और सुनने को मिल जायेगा. कृष्ण-बलराम ने मधुवन में गौचारण लीला की तो वहीं, बलराम ने कृष्ण के संग मिलकर माखन चुराया. साथ ही गोपियां कृष्ण को उनके रंग की वजह से बेहद पसंद करतीं थीं. कान्हा को किसी न किसी बात को लेकर देखने आतीं. वहीं, कृष्ण के बड़े भाई गोरे थे. बलराम जी का रंग भी श्याम रंग हो गया. उनका सांवला रंग कैसे हुआ और क्या मान्यता है, आज हम आपको बतायेंगे.
मधुवन में हुआ था बलराम का श्याम रंग
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कंस की जेल में हुआ था. कंस के अत्याचार के कारण वासुदेव जी उन्हें यमुना मईया को पार कर गोकुल नंद बाबा के यहां छोड़कर आ गए. कृष्ण से बलराम बड़े थे. दाऊ जी महाराज गोरे थे और कृष्ण सांवले थे. कृष्ण सांवले होने के साथ बेहद सुंदर थे.
बलदाऊ मंदिर के पुजारी ने बताया
ब्रज चौरासी कोस के पहले पड़ाव गांव मधुवन में स्थित बलदाऊ मंदिर के पुजारी मथुरानाथ शास्त्री ने बलराम जी के श्याम रंग होने की कथा बताई. उन्होंने बताया की दाऊ जी महाराज गोरे थे. मधुवन में श्याम रंग (सांवले) रंग में विराजमान हैं. दाऊ जी महाराज का रंग कैसे श्याम रंग हुआ. पुजारी ने बताया कि बलराम महाराज ने मधुपान किया था. मधुपान करने से दाऊ दादा का रंग सांवला यानि श्याम रंग हो गया. कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी ने शहद नहीं कृष्ण रुपी मधु का पान करने से उनका रंग श्याम रंग हो गया.
इस नाम से जाने जाते हैं बलराम महाराज
मथुरानाथ शास्त्री ने कहा की बलराम महाराज को बृजराजा के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने कहा की श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश के नाम से जाने जाते हैं. बलदाऊ को बृजवासियों की याद आने के कारण वो बृज में रह कर अपना राजकाज संभाला. बृज में रास हुआ तो गोपियां रास में नहीं आयीं. बलदाऊ महाराज ने कृष्ण से उनका श्याम रंग मांगा. कृष्ण ने अपना श्याम रूप बलराम जी महाराज को दिया तो उनका रंग श्याम रंग हो गया.
FIRST PUBLISHED : June 29, 2024, 12:04 IST