ऐप पर पढ़ें
बॉलीवुड स्टार आमिर खान के बेटे जुनैद की पहली फिल्म ‘महाराज’ की रिलीज पर रोक लगाने संबंधी याचिका दायर होने के बाद गुजरात हाईकोर्ट ने फिलहाल फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक लगा रखी है। वहीं इस मामले की सुनवाई के दौरान फिल्म के निर्माता यशराज फिल्म्स के वकील ने कोर्ट में कहा है कि अगर फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया जाता है तो वे 100 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग करेंगे।
शुक्रवार को गुजरात हाई कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई के दौरान काफी गर्मागर्म बहस हुई। जिसमें याचिकाकर्ताओं ने कलात्मक स्वतंत्रता और धार्मिक संवेदनशीलता पर चिंता जताई, जबकि यशराज फिल्म्स ने कहा कि यदि न्यायालय ने पाया कि फिल्म धार्मिक भावनाओं के संबंध में आपत्तिजनक नहीं है, तो वे 100 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग करेंगे। इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि वो खुद इस फिल्म को देखकर निर्णय लेगा, ताकि कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर इसकी रिलीज के खिलाफ याचिका पर फैसला किया जा सके।
बता दें कि जस्टिस संगीता के. विशेन की सिंगल बेंच यशराज फिल्म्स की इस विवादास्पद फिल्म ‘महाराज’ से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही हैं, जिसमें जुनैद खान और जयदीप अहलावत मुख्य भूमिकाओं में हैं। स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर मूल रूप से 14 जून को रिलीज होने वाली इस फिल्म पर अदालत ने अस्थायी रूप से बैन लगा रखा है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं के एक समूह ने तर्क दिया था कि इसकी सामग्री संभावित रूप से एक विशिष्ट समुदाय की धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचा सकती है। जस्टिस संगीता विशेन ने 19 जून को कहा था कि वे मामले की मेरिट पर सुनवाई करने से पहले फिल्म देखेंगी।
शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान यशराज फिल्म्स के वकील शालीन मेहता ने अदालत के समक्ष दलील देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा बताए गए नियम किसी फिल्म की प्री-रिलीज के चरण पर लागू नहीं होते हैं। मेहता ने कहा, ‘केवल दो विकल्प हैं- यदि कोर्ट यह फैसला देता है कि फिल्म सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कला की कसौटी पर खरी नहीं उतरती है, तो रोक जारी रह सकती है… और यदि न्यायालय पाता है कि फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है, तो दूसरे पक्ष को कोर्ट में 100 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे और हम इस नुकसान का हिसाब भी दे सकते हैं।’
नेटफ्लिक्स पर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने को लेकर पुष्टिमार्गी संप्रदाय सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की है, उनका मानना है कि यह फिल्म वैष्णव संप्रदाय को अपमानजक रूप में दिखाती है और संप्रदाय के खिलाफ ‘घृणा और हिंसा’ की भावनाओं को भड़काएगी। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि ‘1862 के महाराज मानहानि मामले’ पर आधारित यह फिल्म सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है और कुछ पात्रों और प्रथाओं के कथित विवादास्पद चित्रण से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मानहानि के उस मामले में फैसला सुनाने वाली ब्रिटिशकालीन अदालत ने हिंदू धर्म की निंदा की थी और भगवान कृष्ण के साथ-साथ भक्ति गीतों और भजनों के खिलाफ गंभीर रूप से ईशनिंदा वाली टिप्पणियां की थीं। जिसके बाद अदालत की तरफ से रोक लगाने जाने के बाद प्रोडक्शन कंपनी यशराज फिल्म्स और नेटफ्लिक्स ने फिल्म की रिलीज पर न्यायालय द्वारा दिए गए अंतरिम रोक को हटाने की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
इस मामले में नेटफ्लिक्स के वकील ने तर्क दिया कि विचाराधीन फिल्म सौरभ शाह की 2013 की गुजराती पुस्तक ‘महाराज’ पर आधारित है, जो एक मुकदमे की सच्ची घटनाओं को बताती है। वकील ने कहा कि यह पुस्तक बिना किसी अप्रिय घटना के वर्षों से सार्वजनिक डोमेन में है। नेटफ्लिक्स ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पुस्तक का अस्तित्व और विषय-वस्तु सर्वविदित और निर्विवाद है, जो यह दर्शाता है कि उनका काम इन स्थापित आख्यानों को एक फिल्म प्रारूप में लाता है।