चुनाव सभाओं में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहना आरंभ किया कि लड़ाई राम भक्तों और राम द्रोहियों के बीच है। प्रधानमंत्री नुक्कड़ नेताओं के स्तर पर उतर कर कहने लगे कि कांग्रेस सत्ता में आई तो राम मंदिर पर फिर से बाबरी ताला लगा देगी, तो मतदाताओं ने चिढ़कर बीजेपी से न सिर्फ फैजाबाद बल्कि अयोध्या मंडल और उसके आसपास की प्रायः सारी सीटें भी छीन लीं।
चुनाव नतीजों के बाद अयोध्या में कई लोग कहते सुने गए कि बीजेपी को यह सजा जरूरी थी क्योंकि उसने मान लिया था कि ‘हिन्दुत्व’ के नाम पर कितनी भी मनमानियां करती रहे, अयोध्या के मतदाता उसे छोड़ेंगे नहीं। उसके लिए यह बड़ा सबक है कि अयोध्या की सैकड़ों परियोजनाओं पर केन्द्र और प्रदेश सरकार के राजकोष से कोई पचास हजार करोड़ रुपये खर्च करवाकर भी वह मतदाताओं को बिदकने से नहीं रोक पाई।
पिछले साल अयोध्या की सड़कें चौड़ी करने का अभियान चला, तो समुचित मुआवजे और पुनर्वास के वादे निभाए बिना नागरिकों के हजारों घरों, दुकानों और प्रतिष्ठानों को ध्वस्त कर दिया गया। वे नाराज हुए तो बेदर्द भाजपाई हलके यह आभास कराते दिखे कि इससे देश भर के राम भक्त खुश हैं और राम जी शेष देश में बीजेपी का बेड़ा पार लगा दें तो अयोध्यावासियों की नाराजगी से फैजाबाद की एक सीट हार जाना बहुत छोटी कीमत होगी।