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पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले 400 पार का नारा दिया था, लेकिन आज जब देश भर में ईवीएम खुल रही हैं तो भाजपा 250 सीटों से नीचे ही ठहरती दिख रही है। ऐसी स्थिति में भाजपा अकेले दम पर सरकार नहीं बना सकेगी और उसे 272 के जादुई आंकड़े के लिए साथियों की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में भाजपा के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू सहारा बनते दिख रहे हैं। जेडीयू ने बिहार में कुल 15 सीटों पर बढ़त बना रखी है और टीडीपी ने आंध्र में 16 सीटें पाई हैं। यही नहीं आंध्र में तो चंद्रबाबू नायडू और भाजपा का गठबंधन करीब 150 सीटों पर आगे चल रहे हैं। इस तरह नायडू की लॉटरी लग गई है।
वह राज्य में सीएम बनने वाले हैं तो वहीं केंद्र सरकार में भी उनका दखल होगा। पहले भी दोनों नेता किंगमेकर रहे हैं और अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में सरकार का हिस्सा थे। इस तरह नायडू और नीतीश कुमार के लिए एक बार फिर से पुराना दौर लौट आया है। नायडू के लिए तो यह बड़ी सफलता है क्योंकि उन्होंने 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था और 16 पर बढ़त बना रखी है। यदि टीडीपी की 16 और जेडीयू की 14 सीटें भाजपा को मिलती हैं तो लगभग 245 सीटों वाली पार्टी 275 के दावे के साथ सरकार बना सकेगी। इसके अलावा एकनाथ शिंदे की लीडरशिप वाली शिवसेना भी 7 सीटें जीतती दिख रही है। ऐसे में 280 के पार का आंकड़ा आसानी से सरकार बनवा देगा।
लोकसभा में INDIA गठबंधन के 200 के पार जाने के क्या हैं मायने?
चंद्रबाबू नायडू तो भाजपा के साथ 2014 और 2019 में भी थे, लेकिन बाद में कांग्रेस के साथ चले गए थे। फिर इसी साल मार्च में वह एनडीए में वापस लौट आए। यही नहीं नीतीश कुमार भी INDIA अलायंस का गठन कराने वाले नेता थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले ही वह भाजपा के साथ आ गए थे। अब दोनों दल मिलकर बिहार में सरकार चला रहे हैं। इस तरह भाजपा के लिए यह अच्छा ही रहा कि चुनाव से ठीक पहले ही चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार उसके साथ आ गए थे। अब उसके लिए इन्हें मैनेज करना उतना कठिन नहीं होगा और आसानी से सरकार का गठन कर पाएगी।
बमुश्किल 290 सीटें पाकर सरकार बनाएगा NDA
एनडीए में ही पवन कल्याण भी हैं, जिनकी पार्टी दो सीटें जीत गई है। यही नहीं चिराग पासवान की पार्टी लोकजनशक्ति रामविलास भी 5 सीटों पर आगे हैं। एक सीट पर अजित पवार की एनसीपी आगे है। यदि इस पूरे आंकड़े को मिला दें तो एनडीए के खाते में 290 सीटें पहुंच सकती हैं। इस तरह भाजपा सरकार बनाने की ओर है, लेकिन यह सीटें उसकी अपेक्षा के अनुसार बहुत कम हैं। इस तरह एनडीए सरकार को अपने पूरे कार्यकाल में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के ही भरोसे रहना होगा।