बिभव के वकील की दलीलें…
- आप सांसद स्वाति मालीवाल डीसीडब्ल्यू प्रमुख थीं, उन्हें अपने अधिकारों के बारे में अच्छी तरह से पता था. यदि उसके अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, तो उसे तुरंत शिकायत करनी चाहिए थी. 3 दिन की देरी क्यों? बहुत सोच-विचार के बाद ऐसा किया गया.
- स्वाति का कहना है कि विभव ने उसे कई बार थप्पड़ मारे (7-8 बार). स्वाति मालीवाल का कहना है कि विभव उनसे कहते हैं: “तू कैसे हमारी बात नहीं मानेगी?”…मैं पूछती हूं कौन सी बात? कौन सी बात नहीं मानेगी? क्या बात थी.
- आइए एक मिनट के लिए स्वाति जो कहती है उसे सच मानें… अगर ऐसा है भी तो आईपीसी की धारा 308 कहां झूठ बोलती है?
- अपराध करने का मकसद क्या था? उस जगह को देखो, जहां घटना हो रही है. वहां बहुत सारे लोग हैं. प्रोटोकॉल अधिकारी वहां हैं, सुरक्षा अधिकारी वहां हैं और हर कोई जानता है कि स्वाति मालीवाल ने बिभव कुमार को फोन किया था.
- मेडिकल जांच एक ही दिन नहीं हुई, एम्स में 3-4 दिन के अंतराल पर हुई. मैंने आज तक 40 साल की वकालत में इस तारीख का 308 का केस नहीं देखा…! ऐसा मामला दिल्ली पुलिस को कभी बनते नहीं देखा.
- इसके अलावा, स्वाति मालीवाल को दिल्ली सरकार के किसी भी अस्पताल में नहीं ले जाया जाता है, इसलिए कई दिल्ली सरकार के अस्पताल जाते हैं। अस्पताल नजदीक हैं लेकिन मालीवाल को एम्स ले जाया गया है.
- स्वाति के बयानों पर विश्वास करने पर भी… निर्वस्त्र करने के इरादे का अपराध भी नहीं बनता. उन्हें निर्वस्त्र करने का कोई इरादा नहीं था. एकमात्र इरादा उसे सीएम के आवास में प्रवेश करने से रोकना था. उन्होंने शर्ट नहीं, बल्कि कुर्ती पहनी हुई है. उसके बाल उलझे हुए नहीं हैं. मारपीट की कोई घटना नहीं घट रही है.
- लगाए गए आरोपों से यह नहीं लगता कि उसे निर्वस्त्र करने का इरादा था. बस इतना ही देखा जा सकता है कि मारपीट के दौरान शर्ट फट गई है. यह एक आकस्मिक स्थिति है जो घटित हुई है. यहां तक कि वीडियो में उन्होंने कुर्ती पहनी हुई है, उन्होंने शर्ट नहीं पहनी है और कुर्ती जींस में नहीं डाली गई है और कुछ भी फटा नहीं है. वह जो आरोप लगा रही है, उसे दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है.
- यह खेदजनक स्थिति है… जिस दिन घटना होती है उस दिन आप शिकायत नहीं करते, 3 दिन बाद आप एम्स में एमएलसी कराते हैं. अगल-बगल के अस्पताल के नहीं ले जाते. कहानी के अनुरूप सब कुछ पूर्व नियोजित था.
दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलें
- आप बिना किसी उकसावे के अकेली महिला को पीट रहे हैं. उसे घसीटा गया. मैं अपने आप से एक प्रश्न पूछता हूं, क्या यह ‘मृत्यु का कारण नहीं बनेगा’…?
- आप महिला को ऐसे पीट रहे थे कि बटन खुल गए और वह उड़ गया. यहां इरादे की आवश्यकता नहीं है. आप जो कर रहे हैं वह एक महिला का अपमान है और इसे देखा जाना चाहिए, बल्कि यहां 354 (जोड़ा नहीं गया) भी बनाया जा सकता है.
- आरोपी का कहना है कि वह बिभव की छवि खराब करने के लिए पूर्व नियोजित मन से वहां गई थी. वह मौजूदा सांसद हैं. वह डीसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रही हैं, जिसके घर वह गईं, पार्टी प्रमुख ने खुद उन्हें लेडी सिंघम कहा है.
- अब वे कह रहे हैं कि वह बदनाम करने गई थी? कौन है ये? वह स्थायी सरकारी सेवक नहीं है. उसे (बिभव) पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है. इससे पता चलता है कि वह कितना प्रभावशाली है. आपकी ही पार्टी का कोई सदस्य जा रहा है और किसकी इजाजत चाहिए बिभव की?
- बिभव ने स्वाति को यह क्यों नहीं बताया कि उसे नौकरी से हटा दिया गया है? एक व्यक्ति जिसे वहां रहने का अधिकार नहीं है… वह कह रहा है कि तुमने मालीवाल को आने कैसे दिया?
वकील ने पढ़ा सिक्योरिटीज स्टेटमेंट
मैडम ने मुझसे कहा, “संसद को आप बाहर इंतजार करवाओगे”? वह इस तरह के बयान देकर सीधे तौर पर उकसावे की कार्रवाई कर रही हैं. उन्हें सीएम आवास में किसने बुलाया? वह अपने मन में कुछ लेकर आई थी, उसने आने से पहले पूर्वनिर्धारित विचार रखे थे. फिर आगे उन्होंने बार-बार सिक्योरिटी से पूछा कि क्या उन्होंने विभव से बात की है? मालीवाल बार-बार बिभव को बुलाने की मांग कर रही थीं. क्या उसे बुलाया गया था? उन्हें सीएम आवास पर किसने बुलाया? वह जबरन अंदर आ रही थीं. यह अतिक्रमण है और प्राथमिकी हमारे विरुद्ध है… ये कैसी जांच है?
…तो फिर घटना कहां घटी?
बिभव के लिए वकील ने बताया, “स्वाति मालीवाल ने कहा- आप मुझे ऐसे नहीं रोक सकते… ये कहते हुए मालीवाल अंदर घुस गईं. इसके बाद बिभव ने सिक्योरिटी से पूछा कि किसके निर्देश पर स्वाति को अंदर जाने दिया गया? उन्हें (बिभव को) पूछना होगा, क्योंकि वह सीएम की सुरक्षा के लिए भी जवाबदेह हैं. इसके बाद सुरक्षाकर्मी अंदर गए और पूरे सम्मान के साथ उन्हें बाहर ले जाया गया.. तो फिर घटना कहां घटी? वह सामान्य रूप से वहां से बाहर निकल रही थी. कोई झिझक नहीं दिखी.
ये भी पढ़ें :- ‘गिरफ्तारी के बाद 7 किलो वजन घटा…’, केजरीवाल की SC से अंतरिम बेल 7 दिन और बढ़ाने की मांग