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Friday, December 27, 2024

रायबरेली में अदिति सिंह की चुप्पी ने बढ़ाई बीजेपी की धड़कनें, कहीं बिगड़ ना जाए खेल?

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हाइलाइट्स

कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है रायबरेली सीट राहुल गांधी और दिनेश प्रताप सिंह में कांटे की टक्कर

बिश्वजीत बनर्जी. रायबरेली. रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इस बार राहुल गांधी
कांग्रेस की ओर से यहां से चुनावी मैदान में है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के लिए यह प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. रायबरेली सीट पर दिनेश प्रताप सिंह बीजेपी के उम्मीदवार हैं. सिंह कभी गांधी परिवार के बेहद करीब माने जाते थे. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. 2019 में उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था और कड़ी टक्कर दी थी. बीजेपी ने उन्हें 2024 में एक बार फिर से रायबरेली से मौका दिया है. बीजेपी इस सीट को जीतने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. हालांकि, रायबरेली की सदर सीट से विधायक अदिति सिंह, दिनेश प्रताप सिंह के चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं. अदिति सिंह की नाराजगी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है.

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव ने यूपी में रायबरेली सीट पर कब्जा बरकरार रखा था लेकिन अमेठी से राहुल गांधी चुनाव हार गए थे. इस बार बीजेपी की पूरी कोशिश गांधी परिवार की रायबरेली सीट छीनने की है. रणनीति के तहत ही, बीजेपी ने पहले अदिति सिंह को पार्टी में शामिल कराया था. 2022 के विधानसभा चुनाव में अदिति ने बीजेपी के टिकट पर सदर सीट से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की थी.

इसके अलावा, दिसंबर 20232 में राज्य सभा चुनाव में बड़ा राजनीतिक उलटफेर करते हुए बीजेपी ने ऊंचाहर से बागी सपा विधायक मनोज पांडेय का भी समर्थन हासिल कर लिया. हालांकि, लोकसभा चुनाव में पांडेय और अदिति सिंह दोनों ही चुप्पी साधे हुए हैं और चुनाव प्रचार से कतरा रहे हैं. दोनों कद्दावर नेताओं की चुप्पी बीजेपी की चिंता बढ़ा रही है.

अदिति सिंह का सदर विधानसभा सीट पर खासा प्रभाव
अदिति सिंह का सदर विधानसभा सीट पर खासा प्रभाव है. पार्टी के रणनीतिकारों ने उनकी बेरुखी पर चिंता जाहिर की है. अदिति सिंह ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने लिखा था, ‘उसूलो से कोई समझौता नहीं.’ इस पोस्ट के बाद राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चा होने लगी. हालांकि, वह गृह मंत्री अमित शाह के रायबरेली दौरे में अपनी मां वैशाली सिंह के साथ शामिल हुई लेकिन मंच से भाषण नहीं दिया.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अदिति सिंह और दिनेश प्रताप सिंह के बीच मतभेद दूर करने की भी कोशिश की. मनोज पांडेय के घर वह अपने साथ दिनेश प्रताप सिंह को लेकर पहुंचे थे और एकजुटता दिखाने की भी कोशिश की लेकिन अदिति सिंह ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

दिनेश प्रताप सिंह को रायबरेली से बीजेपी की ओर से लोकसभा प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से स्थानीय नेताओं में नारजगी बताई जाती है. सूत्रों के मुताबिक, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को स्थानीय नेताओं की नाराजगी दूर करने की जिम्मेदारी दी गई थी. क्षेत्र में कई दौरे करने के बाद भी, नाराजगी दूर करने में उतनी सफलता नहीं मिल पाई है.

दोनों परिवारों के बीच लंबे समय से अदावत
पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिनेश प्रताप सिंह को रायबरेली सीट से बीजेपी प्रत्याशी बनाए जाने से अदिति सिंह नाराज है. दोनों परिवारों के बीच लंबे समय से अदावत है. जब सदर सीट से अदिति के पिता अखिलेश प्रताप सिंह चुनाव लड़ा करते थे तो दिनेश प्रताप सिंह उनका विरोध किया था. बाद में यह सियासी लड़ाई ‘निजी दुश्मनी’ में बदल गई.

Tags: Aditi singh, Loksabha Election 2024, UP news



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