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Friday, November 8, 2024

चौराहे पर छोड़ गया था बेटा, रो रहे थे बुजुर्ग बीमार पिता, फिर जो हुआ नहीं होगा यकीन

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हाइलाइट्स

बीमार पिता को चौराहे पर छोड़कर भाग गया था बेटाफरिश्‍ता बनी पुलिस, पहले इलाज कराकर पहुंचाया घर आगरा पुलिस ने की कार्रवाई, सब लोग कर रहे तारीफ

आगरा. कहते हैं पिता और बेटे का रिश्ता मजबूत रिश्ता होता है. दोस्ती भी इसी रिश्ते में होती है और एक उम्‍मीद कि बुढ़ापे में बेटा ही सहारा देगा. लेकिन आगरा में इसी रिश्ते को एक बेटे लीला ने कलंकित कर दिया. बेटा अपने बुजुर्ग बीमार पिता छत्रपाल को गांधी चौराहे पर छोड़ कर चला गया. इसके बाद आगरा पुलिस फरिश्ता बन कर पहुंची, और पहले बुजुर्ग का इलाज कराया और उसे घर तक छोड़ कर आई.

मामला थाना शमसाबाद क्षेत्र का है. इरादतनगर नगर के गांव सादुपुरा में रहने वाले एक बुजुर्ग छत्रपाल की तबियत कई दिनों से खराब थी. घर पर ही इलाज चल रहा था. तभी बुजुर्ग पिता का इलाज कराने के नाम पर बेटा लीला उन्‍हें सामुदायिक केंद्र तक लाया और फिर गांधी चौराहे पर एक तरफ बैठा दिया. बेटे ने पिता से कहा कि मैं अभी थोड़ी देर में वापस आता हूं. ऐसा बोल कर वह चला गया. पिता आंखों के आंसू लिए बेटे का इंतजार करते रहे, लेकिन बेटा नहीं आया.

लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने बीमार का कराया इलाज
बुजुर्ग को रोता देख रास्‍ते से गुजरने वालों ने पुलिस को सूचना दे दी. इस पर पुलिस के द्वारा बुजुर्ग बीमार पिता को सबसे पहले इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया और फिर उनके घर लेकर गई. यहां घर में मौजूद बेटा पुलिस को देख कर भाग गया. इस पूरे मामले का सीसीटीवी वीडियो, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. फिलहाल पुलिस ने बुजुर्ग पिता को उनके घर पर छोड़ दिया है, और परिवार के लोगों को हिदायत दी है. उसके बाद पिता, पुलिस का धन्यवाद देते हुए भी नजर आए.

पुलिस बोली यह तो हमारा काम है, जनसेवा सबसे पहले
शमसाबाद थाना प्रभारी वीरेश पाल गिरी ने कहा कि घर पहुंचकर बुजुर्ग को बहुत अच्‍छा लगा और परिवार वालों को भी लगा कि वे अकेले नहीं हैं. इधर, जो बेटा अपने पिता को बेसहारा छोड़कर भाग गया था, उसे भी नसीहत मिल गई है. अब वह दोबारा यह गलती नहीं करेगा. पुलिस ऐसे काम करती रहती है, लेकिन वे मीडिया या जनता के सामने कम ही आ पाते हैं. इस मामले में भी कमजोर बीमार पिता को यदि सहारा नहीं मिलता और पुलिस इलाज नहीं कराती तो कोई अनहोनी से इनकार नहीं है. तेज गर्मी में बेसहारा बुजुर्ग की हालत बिगड़ सकती थी.

माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण के हकदार, जानें इस एक्‍ट को
माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) भारत सरकार का एक अधिनियम है जो वृद्ध व्यक्तियों एवं माता-पिता के भरण-पोषण एवं देखरेख का एक प्रभावी व्यवस्था करती है. इसका विधेयक सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय द्वारा लाया गया था. इस अधिनियम के मुख्‍य प्रावधान इस प्रकार है कि वे अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो कि अपने आय अथवा अपनी संपत्ति के द्वारा होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ है, वे अपने व्यस्क बच्चों अथवा संबंधितों से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं.

बुजुर्गों की उपेक्षा या उनको छोड़ना अपराध, ऐसी हो सकती है सजा
इसमें ‘अभिभावक’ में सगे और दत्तक माता पिता और सौतेले माता और पिता शामिल हैं. प्रावधान के अनुसार प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जो 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है, वह अपने संबधितों से भी भरणपोषण की माँग कर सकता है, जिनका उनकी सम्पत्ति पर स्वामित्व है अथवा जो कि उनकी संपत्ति के उत्तराधिकारी हो सकते हैं. इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा एवं परित्याग एक संगीन अपराध है, जिसके लिए 5000 रुपए का जुर्माना या तीन माह की सजा या दोनों हो सकते हैं. अधिकरण द्वारा मासिक भरणपोषण हेतु अधिकतम राशि रुपये 10,000/- प्रतिमाह तक का, आदेश किया जा सकता है.

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