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यह बलिया जिले का खैराड़ीह है, जहां ब्रह्मर्षि परशुराम का जन्म हुआ था. जन्मदानी आश्रम का एक चित्र बलिया गजेटियर में भी छपा हुआ है. यह बहुत समृद्ध पुरातात्विक स्थल है. यहां रामायण काल, महाभारत काल, बौद्ध काल और गुप्त काल खंडों के ढेर सारे अवशेष मिले हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. के. के. सिन्हा के द्वारा 1988 ईस्वी में इसका सर्वेक्षण और आंशिक खुदाई की गई थी, लेकिन आज भी यहां अनेकों मूर्तियां और पुरातात्विक महत्व के पुराने अवशेष बिखरे पड़े हैं.