सनन्दन उपाध्याय/बलिया : चुनावी जंग में नारों की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है. लोकसभा चुनाव में ये नारे 1952 से जनता को प्रभावित करते रहे हैं. एक्सपर्ट के अनुसार नारे चुनाव में न सिर्फ अहम भूमिका निभाते हैं बल्कि जनमत को दिशा देने का कार्य भी करते हैं. साल 1970 में जब कांग्रेस का विभाजन हुआ तब “इंदिरा हटाओ” के नारे पर गरीबी हटाओ का नारा भारी पड़ा और देश में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस(आई) की सरकार बनी. “अबकी बार… मोदी सरकार” 2014 में यह नारा लोगों की जनता में इतना फेमस हुआ कि भाजपा पूरे बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में काबिज हो गई. आज हम एक ऐसे ही नारे की बात कर रहे है जिसके कारण दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर को हार का सामना करना पड़ा.
बात 1984 के लोकसभा चुनाव की है. जहां इंदिरा गांधी हत्या के बाद कांग्रेसियों के पक्ष में ऐसी सहानुभूति की लहर दौड़ पड़ी कि उस समय बलिया लोकसभा का चुनावी परिणाम ही पूरा रातों-रात पलट गया. राजीव गांधी के गमगीन चेहरे और कंधे पर गमछे वाले पोस्टर पूरे देश में चिपका दिए गए थे. और देश में कांग्रेस का माहौल बना हुआ था फिर भी बागी बलिया में चंद्रशेखर चुनावी मैदान में कड़ी टक्कर दे रहे थे.
जब चन्द्रशेखर पर मंडराया हार का खतरा
इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि बलिया लोकसभा क्षेत्र से जनतापार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्व.चन्द्रशेखर जी दूसरी बार चुनावी मैदान में थे. कांग्रेस ने इनके खिलाफ उ.प्र सरकार के पूर्व उप-मंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. जगन्नाथ चौधरी को उम्मीदवार बनाया था. बलिया लोकसभा को कभी कायस्थ बाहुल्य, ब्राह्मण बाहुल्य और कभी राजपूत बाहुल्य बताने वाले नेताओं की चिंता बढ़ गई, जब दिल्ली से आई जनता पार्टी की चुनाव प्रबंधन टीम ने दो टूक कह दिया कि यहां पिछड़े वर्ग के मत का विभाजन कराना होगा अन्यथा चंद्रशेखर चुनाव हार सकते हैं.
एक नारे ने बदल दिया माहौल
इस बीच जिले बजहा गांव के रहने वाले कैलाश चौधरी को खर्चा-पानी देकर चुनाव लड़ाया गया. रिक्शे पर लाउडस्पीकर बांधकर कैलाश चौधरी चट्टी-चौराहे पर भाषण देते थे. कैलाश चौधरी ने एक नारा दिया “एक तरफ हाजी मस्तान दूसरी तरफ गांजा कप्तान, बीच में कैलाश नौजवान’ इनके भाषण का कितना प्रभाव पड़ा यह तो नही पता लेकिन बहुत कम पढ़े गंवई नेता स्व. जगन्नाथ चौधरी राष्ट्रीय स्तर के राजनेता चन्द्रशेखर को हराकर सांसद बन गए. अब यह तीनों उम्मीदवार इस धरती पर नहीं है. इस चुनाव में कैलाश चौधरी तीसरे स्थान पर रहे.
कौन था बलिया का “हाजी मस्तान”
डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने बताया कि “एक तरफ हाजी मस्तान” का का अर्थ 1984 के लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री व उस समय के प्रत्याशी स्व. चंद्रशेखर सिंह से था. दूसरी तरफ “गांजा कप्तान” का तात्पर्य स्वर्गीय जगन्नाथ चौधरी से था और बीच में कैलाश नौजवान का तात्पर्य कैलाश चौधरी से था जिसने यह नारा गढ़ा और प्रचंड कांग्रेस लहर में कांग्रेस उम्मीदवार जगन्नाथ चौधरी और जनता पार्टी के दिग्गज नेता चंद्रशेखर को हरा कर बागी बलिया से सांसद बने.
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FIRST PUBLISHED : May 2, 2024, 13:56 IST