9.5 C
Munich
Saturday, October 19, 2024

इस रामलीला में 35 फीट ऊंचा कुंभकरण रहता है आकर्षण का केंद्र, जानें वजह

Must read


सुलतानपुर: प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या से सटे हुए जिले सुलतानपुर में एक ऐसी रामलीला का आयोजन होता है, जिसका इतिहास भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से पहले का है. यह रामलीला वर्ष 1852 से आयोजित हो रही है. आयोजन स्थल पर लगभग 35 फीट मिट्टी के कुंभकरण को भी बनाया गया है. यहां रामलीला देखने के लिए कई किलोमीटर दूर से लोग आते हैं.

राम, लक्ष्मण और सीता एक ही जाति से 
रामलीला का आयोजन करने वाली कमेटी के लोग बताते हैं कि जब से यह रामलीला आयोजित की जा रही है. तब से राम, लक्ष्मण और सीता का किरदार ब्राह्मण जाति के ही लोग करते हैं. बाकी अन्य किरदार अन्य जाति के लोग करते हैं, जिससे समाज में अच्छा संदेश जाता है. साथ ही लोग रामलीला के इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

ये थे संस्थापक 
रामलीला कमेटी के कोषाध्यक्ष रामजी जोशी ने बताया कि इस रामलीला की शुरुआत श्री श्री 1008 सुचित जी महाराज जी ने किया था, जो कि 1852 से अनवरत रूप से इसका आयोजन होता चला आ रहा है. जहां प्रतिदिन लगभग कई हजार लोग इस रामलीला को देखने के लिए एकत्रित होते हैं.

इसलिए यह रामलीला है खास
इसौली ग्राम सभा में आयोजित की जाने वाली रामलीला इसलिए खास हो जाती है. क्योंकि यहां हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोग भी रामलीला को देखने आते हैं और इस रामलीला में भाग लेने वाले सभी कलाकार अपनी अदाकारी के लिए किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लेते और अपने चरित्र को निशुल्क रामलीला के मंच पर प्रदर्शित करते हैं. साथ ही इस रामलीला में कमेटी किसी से चंदा मांगने नहीं जाते बल्कि लोग स्वयं ही इसमें अपना आर्थिक और शारीरिक सहयोग करते हैं.

पहले लालटेन के उजाले से होती थी रामलीला 
रामलीला कमेटी के मंत्री देवी शंकर श्रीवास्तव ने बताया कि यह रामलीला पहले लालटेन के उजाले से होती थी, जो आज भव्य रूप में आधुनिक विद्युत संसाधनों से संपन्न की जाती है. इसमें रामसनेही पाठक तथा गया प्रसाद जोशी जैसे लोगों ने अपना अमूल्य सहयोग देकर इस रामलीला के आयोजन को जीवंत रखा.

मिट्टी के बने हैं कुंभकरण 
इस रामलीला आकर्षण का केंद्र इसलिए भी बन जाती है, क्योंकि रामलीला स्थल पर मिट्टी के कुंभकरण को बनाया गया है. जिनकी लंबाई लगभग 35 फीट बताई जाती है. कुंभकरण के साथ-साथ मेघनाथ आदि पात्र का भी मिट्टी का रूप दिया गया था, किंतु वर्तमान में सिर्फ कुंभकरण ही वास्तविक रूप में दिखाई देते हैं.

Tags: Local18, Religion, Religion 18, Sultanpur news



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article