28.8 C
Munich
Friday, June 13, 2025

इस्तीफा नहीं दूंगा; लैंड स्कैम मामले में लोकायुक्त जांच पर भड़के सिद्धारमैया, आरोपों को बताया BJP की साजिश

Must read


कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साफ तौर पर कहा है कि वह लैंड स्कैम मामले में इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के साइट आवंटन मामले में गलत कार्रवाई हुई है। उनकी ये प्रतिक्रिया तब आई जब एक विशेष अदालत ने लोकायुक्त को मामले में जांच करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने इस मामले को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की साजिश बताया और कहा कि वे कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। सिद्धारमैया के खिलाफ विशेष अदालत के आदेश के बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का रास्ता साफ हो गया है। लोकायुक्त के अधिकारियों ने कहा है कि वे अदालत के आदेश की समीक्षा कर रहे हैं और जल्द ही एफआईआर दर्ज करने पर फैसला लेंगे।

इस मामले के तूल पकड़ने के बाद विपक्षी दस भाजपा ने सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग की है। इस पर सिद्धारमैया ने कहा, “क्या प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए गोधरा दंगों के बाद इस्तीफा दिया था? एचडी कुमारस्वामी जो अब केंद्र में मंत्री हैं, उनके खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोप हैं। क्या वे इस्तीफा देंगे?” उन्होंने जोर देते हुए कहा, “मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। मैं कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। मैंने कोई गलत काम नहीं किया है, इसलिए मुझे इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है।” 

वहीं कांग्रेस पार्टी के भीतर भी सिद्धारमैया से इस्तीफे की पेशकश की गई है। पांच बार विधायक रह चुके और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केबी कोलीवाड ने पार्टी को किसी और शर्मिंदगी से बचाने के लिए मुख्यमंत्री को पद छोड़ने का सुझाव दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, “इस दाग को साफ करने के बाद वह फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं… यह मेरा निजी अनुरोध है।”

उधर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी सिद्धारमैया के इस्तीफे की संभावना को खारिज कर दिया है। बुधवार को विशेष अदालत ने लोकायुक्त को तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया और एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।

इसके एक दिन पहले, कर्नाटक हाईकोर्ट ने सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल विशेष परिस्थितियों में स्वतंत्र निर्णय ले सकते हैं और उनका आदेश बिना सोचे-समझे जारी नहीं किया गया था। राज्यपाल ने जुलाई में तीन सामाजिक कार्यकर्ताओं की शिकायत के बाद इस मामले में जांच की मंजूरी दी थी। सिद्धारमैया ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218 के तहत जांच की मंजूरी को चुनौती दी थी।

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण मामले में आरोप हैं कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां प्राधिकरण ने एक आवासीय लेआउट विकसित किया था। विवादास्पद योजना के तहत, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण ने आवासीय लेआउट बनाने के लिए भूमि खोने वालों से अर्जित अविकसित भूमि के बदले में विकसित भूमि का 50 प्रतिशत आवंटित किया। आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव की सर्वेक्षण संख्या 464 की इस 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी अधिकार नहीं था।



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article