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Thursday, April 25, 2024

कोरोना जांच को लेकर WHO ने सदस्य देशों के समक्ष घुटने टेके, तथ्यों का होगा स्वतंत्र मूल्यांकन

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जिनेवा न्यूज़ : कोरोना वायरस के संबंध में स्वतंत्र जांच व तथ्यों के मूल्यांकन की मांग के समक्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के समक्ष घुटने टेकता नजरा आ रहा है। आखिर WHO महामारी को लेकर जांच शुरू करने के अपने अधिकतर सदस्य देशों के आह्वान के सामने झुक गया। कोरोना को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव चरम पर है क्योंकि अमेरिका विश्व में महामारी से हुई लाखों मौतों के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा रहा है। दुनिया में अब तक 3 लाख से अधिक लोगों की जान ले चुकी है व 50 लाख के करीब संक्रमित हैं। लॉकडाऊन के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है।

अफ्रीकी-यूरोपीय तथा अन्य देशों के संगठन ने कोरोना महामारी को लेकर एक ‘समग्र मूल्यांकन’ की मांग की है। कहा गया है कि यह कोविड-19 पर वैश्विक प्रतिक्रिया के WHO के समन्वय से ‘मिले सबक’ की समीक्षा पर आधारित है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि कोरोना वायरस चीन की प्रयोगशाला से पैदा हुआ, जबकि वैज्ञानिक समुदाय ने इस बात पर जोर दिया है कि मुमकिन है वायरस किसी जानवर के जरिए इंसानों में पहुंचा है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सभा का उद्घाटन किया और उल्लेख किया कि कई देशों ने WHO ने की गई सिफारिशों की अनदेखी की। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘अलग-अलग देशों ने अलग-अलग, कई बार विरोधाभासी रणनीतियां अपनाईं और हम सब एक भारी कीमत चुका रहे हैं।’शुरू हुए इस सत्र में विभिन्न देशों के सरकार प्रमुख, राष्ट्र प्रमुख और स्वास्थ्य मंत्री शामिल हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर सामने आई संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी की प्रतिक्रिया के मद्देनजर वह एक स्वतंत्र आकलन शुरू करेंगे।

कोरोना को लेकर WHO की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। WHO की जनवरी से अप्रैल के बीच कोरोना पर प्रतिक्रिया को लेकर एक स्वतंत्र निरीक्षण सलाहकार समिति ने अपनी पहली अंतरिम रिपोर्ट भी छापी है। इसके बाद WHO महानिदेशक ने सोमवार को यह संकल्प लिया। 11पन्नों की इस रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि क्या महामारी को लेकर विश्व को सतर्क करने वाली WHO की चेतावनी प्रणाली और यात्रा सलाह पर्याप्त थीं? सलाहकार निकाय की समीक्षा और सिफारिश से अमेरिकी प्रशासन संतुष्ट नजर नहीं आया जिसने WHO पर कोरोना वायरस महामारी से निपटने में चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले लोगों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने पर WHO की ओर से आलोचना किए जाने का आरोप लगाया था। अमेरिका का आरोप है कि चीन में दिसंबर में इस घातक वायरस का प्रसार शुरू हुआ जो बाद में पूरी दुनिया में फैल गया। चीन की गलती छुपाने पर बाद में ट्रंप ने WHO को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दे दिया था।

इस बीच, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने आज कहा कि उनका देश कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए अगले दो वर्ष में विश्व स्वास्थ्य संगठन को दो अरब डॉलर की मदद उपलब्ध कराएगा।चिनफिंग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO ) की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चीन ने WHO और अन्य देशों को महामारी से जुड़े सभी आंकड़े समय पर उपलब्ध कराए थे। उन्होंने कहा, ‘हमने बिना कुछ छिपाए विश्व के साथ महामारी पर नियंत्रण और उपचार के अनुभव को साझा किया है।’ चिनफिंग ने कहा, ‘हमने जरूरत पड़ने पर देशों की सहायता करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार हर संभव प्रयास किए।’ चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि दो अरब डॉलर से कोविड-19 से निपटने के प्रयासों में, विशेषकर विकासशील देशों को मदद मिलेगी। फ्रांस, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपतियों तथा जर्मन चांसलर ने डब्ल्यूएचओ का समर्थन किया है।

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