न्यूयॉर्क न्यूज़ : संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशंस) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस से निपटने में इतिहास में सबसे बड़ी कोशिश करनी होगी। उन्होंने कहा है कि आज पूरी दुनिया एकदूसरे से जुड़ी है, ऐसे में अगर सभी सुरक्षित नहीं रहते हैं तो इसका मतलब है कि कोई सुरक्षित नहीं है। यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए और उसके इलाज की दवा खोजने में रिसर्च के लिए करीब 8.2 बिलियन डॉलर यानी करीब 62 हजार करोड़ रुपए के फंड की मांग की है। कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से अब तक पूरी दुनिया में 2.5 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। पूरी दुनिया में संक्रमण के मामले बढ़कर 36 लाख तक पहुंच गए हैं। पूरी दुनिया के करीब 40 देशों के नेता कोरोना वायरस को लेकर बनाए एक एक्ट के समर्थन में आए हैं। इसमें कोरोना वायरस से लड़ने के लिए इंटरनेशनल रिस्पॉन्स की बात की गई है। यूरोपियन कमीशन ने इसका प्रस्ताव रखा है। यूएन ने करीब 8.2 बिलियन यूएस डॉलर की मांग कोरोना वायरस के वैक्सीन और इलाज की खोज में रिसर्च के लिए की गई है। गुटेरेश ने पिछले महीने कहा था कि कोरोना वायरस से लड़ने में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने प्रयास तेज किए हैं। उन्होंने कहा था कि कुछ देशों को कोरोना के इलाज की दिशा में प्रयास तेज करने होंगे ताकि महामारी का जल्दी से जल्दी इलाज ढूंढा जा सके। उन्होंने विश्व के देशों के सामूहिक प्रयास की तारीफ की है। गुटेरेशन ने कहा है कि दुनियाभर के देशों के सामूहिक प्रयास से ही महामारी पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि कोरोना से संबंधित हर तरह के संभावित इलाज सभी देशों के सभी नागरिकों को मिलने चाहिए। उन्होंने कहा है कि ठोस और सामूहिक प्रयास महामारी को रोकने और लोगों की जिंदगी बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ देशों ने पहले महामारी पर काबू पा लिया। लेकिन कई ऐसे देशों में भी वायरस का संक्रमण फैला है, जो संक्रमण के लिहाज से सबसे कम रिस्क पर थे. इसलिए कहा जा सकता है कि हममें से कोई सुरक्षित नहीं है, अगर हम सभी सुरक्षित नहीं हैं।