झांसी. झांसी में हो रहे शोध कार्यों को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने लगी है. झांसी स्थित भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान ने पशुओं के चारे की 2 ऐसी प्रजातियां तैयार की है, जिनकी डिमांड विदेशों तक है. संस्थान के फार्म पर बरसीम और जई की प्रजाति विकसित की गई है वह आम प्रजाति से कहीं ज्यादा बेहतर है. इन दोनों प्रजातियों की डिमांड विदेशों में भी है. बढ़ती डिमांड को देखकर देश की 2 बड़ी कंपनियों ने बीज खरीदने के लिए ग्रासलैंड से एमओयू किया है.
ग्रासलैंड में तैयार इस चारे की मांग अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, तुर्की जैसे देशों में भी बढ़ गई है. इन बीजों की मांग इसलिए है क्योंकि जिस बरसीम को तैयार किया गया है, वह दुधारु पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद है. इसमें सॉलिड नॉट फैट (एसएनएफ) की मात्रा बहुत ज्यादा है. इस बरसीम को खाने वाले मवेशी में एसएनएफ अधिक बनता है. इससे खोआ और घी अधिक बनता है. इसी तरह जई की प्रजाति मवेशियों के स्वास्थ्य के लिए वरदान है. इससे पशुओं की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है.
हाइब्रिड बरसीम में 13 गुना अधिक प्रोटीन
ग्रासलैंड के सीड प्रोडक्शन यूनिट के नोडल अधिकारी डॉ. राजीव अग्रवाल ने बताया कि अनुसंधान संस्थान में लगातार शोध जारी है. इसी क्रम में हाइब्रिड बरसीम और जई को तैयार किया गया है जो सामान्य चारे के मुकाबले अधिक लाभदायक है. इसमें 15 गुना फूड प्रोटीन होता है. हाइब्रिड बरसीम में भी 13 गुना अधिक प्रोटीन है. फाइबर की मात्रा कम होने से भी काफी फायदा होता है. कई अन्य शोध भी अभी जारी हैं.
FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 16:42 IST