वॉशिंग्टन/बैंकॉक न्यूज़ : वैश्विक कोरोना वायरस के संकट के बीच विश्वभर के देश इस महामारी की वैक्सीन बनाने में जुट गए हैं। अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना आईएनसी द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन से उम्मीद की किरण जगी है। वैक्सीन के ट्रायल के शुरुआती चरण में अमेरिकी कंपनी को सफलता मिली है। वहीं, ऑक्सफोर्ड की एक रिपोर्ट ने लोगों को निराश किया है। ऑक्सफोर्ड वैक्सीन प्रोजेक्ट में वैक्सीन का ट्रायल शुरुआती चरण में ही फेल हो गया है। इस वैक्सीन का बंदरों पर कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है। मॉडर्ना आईएनसी द्वारा बनाई गई वैक्सीन का प्रयोग जिन लोगों पर किया गया उनमें से आठ लोगों में यह देखा गया कि शरीर में ऐसे प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई जो कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार है। इन आठ लोगों में वैक्सीन के 25 और 100 एमसीजी के दो डोज दिए गए। इस दौरान पाया गया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में यह वैक्सीन सुरक्षात्मक एंटीबॉडी का विकसित करती है।इनमें कुछ लोगों में वैक्सीन के साइड इफेक्ट भी देखे गए। मसलन किसी को दर्द, कुछ लोगों में जहां इजेक्शन लगाए गए वहां लाल धब्बे और बुखार भी देखे गए। इस वैक्सीन के बनने के बाद कंपनी के शेयर में 30 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला।
इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की रेस में थाइलैंड भी है। थाइलैंड ने वैक्सीन बनाने के शुरुआती चरण में सफलता हासिल कर ली है। यहां विकसित हुई वैक्सीन को चूहों पर इस्तेमाल किया गया और इसके सकारात्मक असर देखने को मिले। अब इसके प्रयोग की अगली कड़ी में इसे बंदरों पर इस्तेमाल किया जाएगा। थाइलैंड का कहना है कि सबकुछ ठीक रहा तो छह से सात महीने में कोरोना महामारी की वैक्सीन बनाने में सफलता मिल जाएगी।
कोरोना वैक्सीन: ऑक्सफोर्ड की विफलता के बाद थाइलैंड ने शुरू किया ट्रायल
