सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पास ईदगाह और दरगाह समेत कई अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण पर बुलडोजकर कार्रवाई करने को लेकर आज गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट अब इस मामले में अगली सुनवाई को 16 अक्टूबर को करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर के पास जारी बुलडोजर ऐक्शन पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने सोमनाथ मंदिर के पास ईदगाह और दरगाह समेत कई अवैध निर्माण एवं अतिक्रमण पर बुलडोजकर कार्रवाई करने को लेकर आज गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट अब इस मामले में अगली सुनवाई को 16 अक्टूबर को करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सोमनाथ मंदिर के पास गुजरात के प्रभास पाटन में दरगाह और मस्जिदों समेत कई ढांचो को गिराए जाने के खिलाफ यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अगर अदालत के पिछले निर्देश का उल्लंघन पाया गया तो राज्य के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
जस्टिस भूषण आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने चेतावनी दी कि तोड़फोड़ पर उसकी रोक के आदेश के उल्लंघन का गंभीर परिणाम होगा। बेंच ने साथ ही कहा कि न्यायिक आदेशों के अनुपालन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
बेंच ने इस मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर के लिए स्थगित करते हुए कहा, “हम नोटिस या कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम स्पष्ट करते हैं कि अगर हम पाते हैं कि वे (राज्य) हमारे पिछले आदेश की अवमानना कर रहे हैं, तो हम न केवल उन्हें जेल भेजेंगे बल्कि उनसे सब कुछ बहाल करने के लिए भी कहेंगे…हम यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देंगे।”
मुस्लिम पक्ष ने कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया
सुम्मास्त पाटनी मुस्लिम जमात द्वारा दायर याचिका में गुजरात के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग की गई है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के 17 सितंबर के आदेश की अवहेलना की है, जिसमें उसकी पूर्व अनुमति के बिना देशभर में सभी जगह बुलडोजर ऐक्शन पर अस्थायी रोक लगाने का निर्देश दिया गया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि उसका यह आदेश न तो सड़कों, फुटपाथों या जल निकायों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर स्थित अवैध निर्माणों पर लागू होगा और न ही कोर्ट द्वारा ध्वस्तीकरण के लिए आदेशित संरचनाओं पर लागू होगा।
याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने गुजरात सरकार के अधिकारियों पर प्रभास पाटन में 28 सितंबर 2024 को बिना कोई पूर्व सूचना या सुनवाई का अवसर दिए कई ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण मुस्लिम धार्मिक स्थलों को अवैध रूप से ध्वस्त करने का आरोप लगाया।
गुजरात सरकार ने कहा- नोटिस दिए, व्यक्तिगत सुनवाई भी गई
गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हेगड़े के दावों का खंडन किया। मेहता ने तर्क दिया कि विचाराधीन भूमि सरकारी भूमि थी, जिसके संबंध में नगरपालिका की कार्यवाही 2023 में शुरू हुई थी। मेहता ने कहा इस मामले में उचित नोटिस जारी किए गए और व्यक्तिगत सुनवाई भी की गई। उन्होंने वक्फ बोर्ड सहित अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। यह क्षेत्र सोमनाथ मंदिर से 360 मीटर दूर है। यह एक जल निकाय से सटा हुआ है और इस प्रकार, यह इस अदालत द्वारा बनाए गए अपवाद के अंतर्गत आता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में रहने वाले कुछ लोगों ने एक दिन पहले गुजरात हाईकोर्ट का भी रुख किया था, लेकिन तोड़फोड़ या यथास्थिति पर रोक लगाने का कोई अनुकूल आदेश नहीं मिला।
बेंच ने कहा कि हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि हमारा सुरक्षात्मक आदेश सार्वजनिक भूमि, सड़क या जल निकायों पर लागू नहीं होगा… इसलिए, हम नोटिस जारी नहीं करेंगे। आप (राज्य) अपना जवाब दाखिल करें।
इस पर, हेगड़े ने बेंच से यथास्थिति का आदेश जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह 50 एकड़ का क्षेत्र है, जो जूनागढ़ राज्य के समय से जूनागढ़ साम्राज्य के दौरान अस्तित्व में है। वहां पांच दरगाहें, दस मस्जिदें हैं। हालांकि अदालत ने दोहराया कि यदि राज्य सरकार ने उसके आदेश का उल्लंघन किया है, तो उन्हें पूरी तरह से मुआवजा देना होगा।