10.4 C
Munich
Sunday, May 18, 2025

Explainer: समा के चावल या सामक चावल क्या है, जिसे व्रत में खाते हैं? किस जंगली पौधे से बनता है ये

Must read


इन दिनों नवरात्र चल रहा है. व्रत या उपवास रखने वाले लोग कुट्टू के आटे से लेकर साबूदाना और सांवा या सामक के चावल जैसी चीजें आहार में लेते हैं. सामक के चावल की खीर से लेकर उपमा, पोहा जैसी तरह-तरह की चीजें बनाई जाती हैं. सामक या सांवा का चावल छोटे-छोटे गोल मोती जैसा दिखता है और स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक माना जाता है. पर क्या आप जानते हैं कि सामक का चावल है क्या?(Samak Chawal Kya Hota Hai) इसके नाम में चावल क्यों लगा है? आइये आपको बताते हैं

सामक का चावल क्या होता है?
सामक या सांवा, मिलेट (Millet) यानी बाजरे की प्रजाति की फसल है. अंग्रेजी में इसको ‘बार्नयार्ड मिलेट’ (Barnyard Millet) कहते हैं. इसका वैज्ञानिक नाम इचिनोक्लोआ कोलोनम (Echinochloa Colonum) है. इसे जंगली चावल भी कहते हैं. नोएडा के बॉटनिकल गार्डन के पूर्व निदेशक डॉ. शिव कुमार hindi.news18.com से बताते हैं कि कुछ दशक पहले बार्नयार्ड मिलेट दलदली इलाकों में अपने आप उग आती थी. फिर लोग इसको सुखाकर तरह-तरह से खाने के काम में लेते थे. धीरे-धीरे इसकी खेती होने लगी. गेहूं-चावल जैसे अनाज के प्रचलन से पहले लोग मोटे अनाज जैसे- ज्वार, बाजरा, कोदो जैसी चीजें खाते थे और इसी की खेती करते थे. तब सांवा भी खूब प्रचलित था.

कैसे होती है इसकी खेती
सामक या सांवा के चावल को वर्षा आधारित खेती के रूप में उगाया जाता है. यह समुद्र तल से लेकर हिमालय की ढलानों पर 2000 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जाता है. गर्म और मध्यम जलवायु बार्नयार्ड बाजरे की फसल के लिए अच्छी होती है. यह कठोर मौसम को भी सहन कर लेती है. सामक की फसल जब तैयार हो जाती है तो इसको सुखाने के बाद मशीन के जरिये इसके छिलते उतार दिये जाते हैं और सफेद मोती जैसा दिखने लगता है.

डॉ. कुमार कहते हैं कि चूंकि रिफाइन करने के बाद ये सफेद रंग का दिखता है और चावल सरीखा नजर आता है, संभवत: इसीलिये इसके नाम के साथ ‘चावल’ जुड़ गया.

गूगल पर खूब सर्च
गूगल पर भी इस चावल के बारे में लोग खूब सर्च कर रहे हैं. गूगल एक्सप्लोर में Samak Rice एक प्रमुख सर्च टॉपिक है.


कहां से आया सामक का चावल
सामक के चावल की उत्पत्ति एशिया में हुई. दस्तावेजों से पता चलता है कि चीन में इसे पिछले 2000 से अधिक वर्षों से उगाया जा रहा है. कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि बार्नयार्ड बाजरे की उत्पत्ति संभवतः मध्य एशिया में हुई थी. फिर यह मध्य एशिया से यूरोप और अमेरिका तक फैल गया. भारत के तमाम साहित्य में भी सांवा का जिक्र मिलता है.

समा के चावल व्रत में खूब खाए जाते हैं.

थाईलैंड में इसकी बियर मशहूर
भारत से लेकर नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका के तमाम इलाकों में सामक के चावल या सांवा की खेती होती है. पूर्वोत्तर भारत में यह ठीक-ठाक मात्रा में होता है. थाईलैंड जैसे कई देशों में सामक या सांवा के चावल की बियर भी खूब लोकप्रिय है.

भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसको भिन्न-भिन्न नाम से जानते हैं. जैसे समक, सामक, सांवा, समो, भगर, वरई, कोदरी, कोदो और समवत. गुजराती में इसे ‘मोरियो’ कहते हैं तो दक्षिण के राज्यों में ‘चामई’ या ‘सामई’ के नाम से जानते हैं.

गूगल वर्ल्डवाइड सर्च में भी
इस टॉपिक को गूगल के वर्ल्डवाइड सर्च में भी अच्छा रेस्पांस मिला. यह इस ग्राफ में देखा जा सकता है.



भारत के साथ इस देश में भी सर्च
सर्च का रीजन देखें तो भारत के अलावा इस बारे में भारत के अलावा यूएई, सिंगापुर और कतर में भी अच्छा सर्च किया गया.



सामक के चावल को क्यों कहते हैं सुपर फूड?

सामक के चावल को सुपर फूड भी कहते हैं. यह तमाम बीमारियों में लाभदायक होता है. सामक में ग्लूटन नहीं होता है. इसमें कैलोरी कम होती है और शुगर की मात्रा भी कम होती है. इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, आयरन और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. सबसे बड़ी बात है कि इसमें फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है. सामक चावल खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है. यह मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने में मदद करता है.

Barnyard Millet Rice : 1Kg – Organic and Unpolished – Native Flavors

हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इसमें मौजूद फाइबर कब्ज़, अपच, गैस, और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं से बचाता है. सामक चावल में फ़ाइटिक एसिड कम होता है. एक अध्ययन में पाया गया है कि बिना छिलके वाला बर्नयार्ड मिलेट टाइप II डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता हैय सांवा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है और इसमें मौजूद पॉलीफेनॉल्स शुगर को बढ़ने नहीं देते. इसीलिये डायबिटीज के मरीजों के लिए यह फायदेमंद है.

Tags: Chaitra Navratri, Health News, Navratri Celebration, Navratri festival



Source link

- Advertisement -spot_img

More articles

- Advertisement -spot_img

Latest article