सहारनपुर. सहारनपुर जनपद के मुजफ्फरनगर स्टेट हाईवे पर बसे गांव कोटा की स्थापना करीब 500 वर्ष पूर्व लाला चरणदास ने की थी. मिर्च के कारोबारी चरणदास का परिवार मुफलिसी में राजस्थान के कोटा शहर से रोजी-रोटी की तलाश में यहां आया था. बताते हैं कि बुरे वक्त में कोई साधु रोटी मांगने लाला के घर पहुंचा तो उस वक्त घर में खाने को कुछ नहीं था. लाला की माता ने पड़ोस से मांग कर उन्हें रोटी दी थी. जिस पर साधु ने संपन्नता का आशीर्वाद दिया. जो इतना फलीभूत हुआ कि कुछ ही सालों में लाला चरणदास संपन्नता के प्रतीक बन गए.
माया हुई मेहरबान
सैकड़ों गांवों में जमींदारा होने के साथ ही अदालत तक उनके यहां लगती थी. बताया जाता है कि लाला चरणदास पर माया (लक्ष्मी) मेहरबान हुई और उनको इतनी संपत्ति से भर दिया कि यहां से लेकर हरिद्वार तक 552 गांव उनके हुआ करते थे. एक दिन लाला चरणदास स्नान के लिए माया (लक्ष्मी) को वचन देकर गए कि वे शाम तक स्नान कर आ जाएंगे लेकिन वे नदी में डूब कर मर गए.
आज तक कर रही हैं इंतजार
कहते हैं कि आज तक उनके वचन का माया (लक्ष्मी) पालन करते हुए उनका इंतजार रही हैं. आधे से ज्यादा हवेलियां खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं. उस समय में कोठी से तालाब तक महिलाओं के स्नान करने जाने के लिए बाकायदा सुरंग तक बनाई गई थी जिसका अस्तित्व आज भी है. कुछ कोठियां सालों से बंद पड़ी हैं. ग्रामीणों का मानना है कि इनमें अभी भी अकूत धन संपदा छिपी हुई है. वहीं लाला चरणदास ने गांव कोटा में लक्ष्मी नारायण एवं शिव मंदिर का निर्माण भी कराया था.
इंसाफ के लिए आते थे दूर-दूर से लोग
ग्रामीण पृथ्वी सिंह ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उन्होंने बुजुर्गों से सुना है कि लाला चरणदास के वक्त गांव कोटा में अदालत लगती थी. 552 गांव के जमीदार लाला चरणदास हुआ करते थे. सहारनपुर से लेकर हरिद्वार तक लाल चरणदास की जमीन हुआ करती थी. दूर-दूर से लोग इंसाफ के लिए गांव आते थे. वे बताते हैं कि गांव में आज भी लाला चरणदास के वंशजों की अकूत संपत्ति पड़ी हुई है और कोई देखने वाला नहीं है.
हवेली बन गई खंडहर
उनकी हवेलियाें के खंडहर उनके वैभव की दास्तान बयां करते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि परिवार के ज्यादातर लोग महानगरों में बस गए हैं. देखरेख के अभाव में कभी वैभव का प्रतीक रहीं कोठियां आज खंडहर में तब्दील हो गईं हैं. ग्रामीण बताते हैं कि लालचरणदास से माया (लक्ष्मी) ने वादा किया था कि जब तक वे हरिद्वार से स्नान कर नहीं आएंगे तब तक वे यहीं पर ही रहेंगी लेकिन लाला चरणदास वापस नहीं आए. माना जाता है कि माया आज भी लालचरण दास का इस हवेली में इंतजार कर रही हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 3, 2025, 10:53 IST