नई
दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के जरिए
देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे पता है कि लोगों को लॉकडाउन की वजह से
काफी परेशानी हो रही है। आपको हुई असुविधा के लिए क्षमा मांगता हूं। आगे कहा, ‘कोरोना वैश्विक महामारी’ से भयंकर संकट में है। ऐसे में मैं
और कुछ बातें करूं वो उचित नहीं होगा, लेकिन सबसे पहले मैं सभी देशवासियों से क्षमा
मांगता हूं। 130 करोड़
लोगों की आबादी वाले देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए कोई और रास्ता नहीं था, कठोर कदम उठाना जरूरी था। बीमारी और
उसके प्रकोप से शुरुआत में ही निपटना पड़ता है, वरना बाद में यह असाध्य हो जाता है। भारत आज यही
कर रहा है।
पीएम ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि कोई कानून नहीं
तोड़ना चाहता है, लेकिन
कई लोग कानून तोड़ रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। लॉकडाउन को
तोड़ेंगे तो कोरोना वायरस से नहीं बच पाएंगे। नियम तोड़ने वाले अपने जीवन के साथ
खिलवाड़ कर रहे हैं।’
पीएम ने मन
की बात कार्यक्रम में वैसे लोगों से बात की जो कोरोना वायरस के संक्रमण में आए और
इलाज करवाकर ठीक हुए। पीएम ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर राम और आगरा के अशोक कपूर से बात
की। राम ने कहा कि लॉकडाउन जेल जैसा नहीं है और लोग नियमों का पालन कर ठीक हो सकता
है। अशोक कपूर ने कहा कि वे आगरा के स्वास्थ्यकर्मियों और स्टाफ को धन्यवाद देना
चाहते हैं, उन्होंने
कहा कि दिल्ली के अस्पताल के कर्मचारियों और स्टाफ ने उनकी मदद की।
पीएम ने
कोरोना के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों से बात की। इन डॉक्टरों ने बताया कि
वे पूरे जज्बे के साथ कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने
आचार्य चरक की पंक्तियों की चर्चा करते हुए कहा कि जो बिना किसी भौतिक कामना के
मरीजों की सेवा करता है, वही सच्चा और सबसे बढ़िया डॉक्टर है। पीएम ने कहा
कि वे सभी नर्सों को सैल्युट करते हैं जो अतुलनीय निष्ठा के साथ मरीजों की सेवा कर
रहे हैं।
पीएम
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्होंने लोगों से सोशल डिस्टेंस बढ़ाने को कहा है, लेकिन इस दौरान वे इमोशनल डिस्टेंस
घटा सकते हैं और अपने सगे-संबंधियों, पुराने दोस्तों, परिचितों से बात कर सकते हैं। अपने शौक पूरा कर
सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब उन्हें ये जानकारी मिली कि
क्वारनटीन हुए लोगों के साथ कुछ लोग बदसलूकी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे
लोगों को लेकर संवेदनशील होना पड़ेगा।