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Friday, June 13, 2025

माता-पिता को खोया, 3 भाई-बहन की आई जिम्मेदारी, 18 साल में बना अंडर-19 कप्तान

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नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट में एक से बढ़कर एक प्रेरणादायक किस्से सुनने को मिलते हैं. भारतीय अंडर 19 टीम के नए कप्तान मोहम्मद अमान की कहानी भी ऐसी ही है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली जाने वाली सीरीज के लिए चुनी गई अंडर 19 टीम की कमान 18 साल के इस खिलाड़ी को दी गई है. छोटी उम्र में बड़ी जिम्मेदारी उठाने वाले अमान पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी. महज 16 साल की उम्र में माता और पिता दोनों का साया सिर से उठने के बाद इस होनहार ने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई और अब इस मुकाम को हासिल किया है.

मोहम्‍मद अमान की कप्तानी में भारतीय अंडर 19 टीम ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज खेलने उतरेगी. इसी टीम में भारतीय टीम के पूर्व मुख्य कोच राहुल द्रविड़ के बेटे समित का चयन हुआ है. चयन के बाद से ही इस युवा स्टार खिलाड़ी की चर्चा लगातार हो रही है लेकिन हम आपको इस टीम के कप्तान के बारे में बताने जा रहे हैं. मोहम्मद अमान के लिए जिंदगी आसान नहीं रही. जिस उम्र में लोग माता-पिता की लाड पाते हैं उस वक्त इस बच्चे ने उनको खो दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जब मोहम्मद अमान महज 16 साल के थे तभी उन्होंने माता और पिता दोनों को खो दिया. इसके बाद तीन छोटे भाई बहनों की जिम्‍मेदारी उनके उपर आ गई. कोरोना काल में इस होनहार क्रिकेटर ने मां को खो दिया. साल 2020 में अमान की मां सायबा का निधन हो गया था. उनका दुख यहीं खत्म नहीं हुआ बल्कि पिता मेहताब जो ट्रक चलाकर परिवार को पालते थे उनकी नौकरी चली गई और फिर बीमारी की वजह से दो साल बाद उनका भी निधन हो गया.

एक दिन में बड़ा हो गया
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले मोहम्मद अमान ने इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया, “जिस दिन मैंने अपने पिता को खोया, ऐसा लगा मानो मैं अचानक एक दिन में ही बड़ा हो गया. मुझे अपनी छोटी बहन और दो भाई की देखभाल करनी थी, पिता के जाने के बाद मैं परिवार का मुखिया था. इस घटना के बाद अपने आप से कहा क्रिकेट छोड़ देना चाहिए. सहारनपुर में परिवार चलाने के लिए नौकरी भी तलाश की लेकिन कोई काम नहीं मिला. ऐसे में कुछ लोग मदद के लिए आगे आए जिससे कि मैं अपना खेल जारी रख सकूं.”

भूखे रहे, टॉयटेल के पास बैठ की यात्रा
अमान ने बताया, कानपुर में उत्‍तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के ऐज ग्रुप ट्रायल्‍स के लिए जब जाते थे तो पैसे बचाने के लिए ट्रेन के जनरल डिब्बे में सफर करते थे, टॉयलेट के पास बैठ कर यात्रा करते थे. भूखे पेट सोते थे और क्रिकेट दौरों के दौरान जो पैसा उनको दैनिक भत्ते के रूप में मिलते, उसी से परिवार का पेट भरते थे.



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