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- Karnataka Water Crisis: DK Shivakumar Says Worst Drought In Four Decades
बेंगलुरू9 मिनट पहले
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बेंगलुरु में जल संकट के बीच लोगों ने राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरु कर दिया है।
बेंगलुरू| देश के तीसरी सबसे अधिक अबादी वाले शहर बेंगलुरु में जल संकट गहरा गया है। इस कारण वहां रहने वाले करीब 1.4 करोड़ लोगों में से एक वर्ग वैकल्पिक समाधान तलाशने के लिए मजबूर है।
कई लोग शहर से पलायन करने लगे हैं। दूसरी ओर जो लोग घर खरीदना चाहते थे, वे अपना मन बदलने लगे हैं। इस बीच, संस्थाओं, हाउसिंग सोसाइटी, कंपनियों और लोगों ने संकट के हिसाब से ढलने और पानी बचाने के उपायों पर काम शुरू कर दिया है।
नलों पर पानी बचाने वाले उपकरण लगाने से लेकर हाथ और बर्तन धोने के लिए कैन का इस्तेमाल कर रहे हैं। कई हाउसिंग सोसाइटी ने सुबह और शाम को 4 घंटे तक पानी की सप्लाई बंद कर दी है।


आईटी कंपनियों के लिए वर्क फ्रॉम होम की मांग
सोशल मीडिया पर राज्य के सीएम सिद्धारमैया से आईटी कंपनियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य करने की गुहार लगा रहे हैं, ताकि शहर में या उसके बाहर घर जाकर इस परेशानी से निजात पा सकें। कोचिंग सेंटर्स और स्कूलों ने बच्चों को स्कूल आने के बजाए, घर से ही क्लास लेने की सलाह दी है।
लोग छोड़ रहे हैं अपना घर
कंपनी इंडी-क्यूब का दावा है कि आमतौर पर प्रति कामगार प्रति दिन 35-40 लीटर पानी की खपत होती है। हमने इसे आधे से कम कर प्रति व्यक्ति प्रति दिन 15-17 लीटर कर दिया है। केंगेरी उपनगर के निवासी ग्लोबल विलेज में एक कंपनी के कर्मचारी राधाकृष्ण के अपार्टमेंट में पानी की गंभीर कमी के कारण पत्नी को मांड्या में अपने पैतृक घर को छोड़ना पड़ा। इस कदम के बावजूद वे अभी भी शहर में अपने लगभग अनुपयोगी फ्लैट के मासिक किराए के बोझ से दबे हुए हैं।
IIM बेंगलुरु पानी के दोबारा इस्तेमाल पर काम कर रहा
एक अन्य तकनीकी विशेषज्ञ दीपक राघव ने बताया कि वह कोलकाता से आए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें हर हफ्ते 6,000 लीटर पानी के लिए 1,500 रुपए का भारी भुगतान करना पड़ता है, क्योंकि किराए के घर में ट्यूबवेल सूख गया है। भारतीय प्रबंधन संस्थान बेंगलुरु (आईआईएम)ने कहा, “आईआईएमबी अपने सीवेजट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के माध्यम से प्रतिदिन 250,000 लीटर से अधिक पानी को दोबारा उपयोग लायक बना रहा है। इसका दायरा बढ़ाने के लिए 57 कृत्रिम गड्ढों की खुदाई की गई है। 17 कुएं बन रहे हैं।


चेन्नई में 2019 में आया था संकट, ट्रेन से पानी की ढुलाई
चेन्नई 2019 में ही भीषण जलसंकट से गुजर चुका है। वहां हालात ये आ चुके थे कि वाटर ट्रेन से पानी पहुंचाना पड़ा। दरअसल, देश के छठे सबसे बड़े शहर चेन्नई को पानी की आपूर्ति वहां के चार जलाशयों से होती है, जो सूख गए थे। मानसून में देरी के कारण संकट विकराल हो गया। इस कारण सरकार को रोज 1 करोड़ लीटर पानी ट्रेन से मंगाना पड़ा, जिसके लिए 66 करोड़ रुपए खर्च हुए।
हैदराबाद में भी संकट की आहट, टैंकर की मांग 4 गुना
हैदराबाद में भी जल संकट की आहट सुनाई दे रही है। वहां पानी के दो प्राथमिक स्रोत हैं – नागार्जुन सागरजलाशय (कृष्णा नदी) औरयेल्लमपल्ली जलाशय (गोदावरीनदी)। इन दोनों जलाशयों में जलस्तर खतरनाक रूप से कम है। कई इलाकों में पानी के टैंकरों की मांग अचानक बढ़कर 10 गुनी हो गई है। मनीकोंडा इलाके में तो जल संकट के चलते लोग सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे।
10 शहरों में इस दशक के आखिर तक जल संकट
हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि साल 2030 तक भारत के करीब 10शहरों में भारी जल संकट देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट में जिन शहरों का नाम शामिल है इसमें- जयपुर, दिल्ली, बेंगलुरु, गुजरात का गांधीनगर, गुरुग्राम, इंदौर, अमृतसर, लुधियाना, हैदराबाद, चेन्नई, गाजियाबाद शामिल है।


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बेंगलुरु में मुख्यमंत्री भी टैंकर के भरोसे:अचानक क्यों सूख गए बोरवेल


कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार के बेंगलुरु स्थित घर का बोरवेल सूख चुका है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आवास पर भी पानी का टैंकर जाते देखा गया। सरकार में सबसे उच्च पद पर बैठे दोनों नेताओं का हाल देखकर शहर के आम लोगों की मुश्किलों का अंदाजा लगाना बेहद आसान है। पढ़ें पूरी खबर…
बेंगलुरु में पानी की कमी, टैंकर वसूल रहे मनमाना पैसा


बेंगलुरु शहर पानी की भारी किल्लत से जूझ रहा है। कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार ने कहा कि शहर में 3 हजार से अधिक बोरवेल सूख गए हैं, जिनमें उनके घर का बोर भी शामिल है। वहीं शहर के टैंकर वाले 5 हजार लीटर के लिए 500 रुपए की जगह 2 हजार रुपए वसूल रहे हैं।