Ozempic increase risk of stomach paralysis: एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि वजन कम करने वाली दवा ओजेंपिक या वीगोभी लेने वाले लोगों में पेट में लकवा का खतरा 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. हममें से अधिकतर लोगों ने पेट में लकवा जैसी बीमारी के बारे में कम ही सुना होगा. दूसरी ओर वजन कम करने वाली दवा अब तक भारत में नहीं मिलती है लेकिन हाल ही में नोवो नॉर्डिस्क कंपनी ने इस दवा के टैबलेट फॉर्म को भारत में उतारा है. इसलिए हर किसी को ये दोनों बातें जाननी जरूरी है कि पेट में लकवा कैसे होता है और वजन कम करने वाली दवा का कब इस्तेमाल किया जाता है.
क्यों ली जाती है वेट लॉस की दवा
दरअसल, वजन कम करने वाली दवा वीगोभी या ओजेंपिक का इस्तेमाल पश्चिमी देशों में धड़ल्ले से होने लगा है. इस दवा से वजन के साथ-साथ डायबिटीज पर भी लगाम लगने की संभावना बढ़ती है. जब वजन बढ़ता है तो शरीर में कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. ज्यादा वजन के कारण डायबिटीज का जोखिम बढ़ता है. इसके अलावा हार्ट पर गंभीर असर पड़ता है. इसलिए अमेरिका, ब्रिटेन में वजन कम करने वाले इंजेक्शन का इस्तेमाल होने लगा है. पर इसके साइड इफेक्ट्स भी सामने आने लगे हैं. टीओआई की खबर के मुताबिक वाशिंगटन में डाइजेस्टिव डिजीज वीक 2024 कांफ्रेंस में इस अध्ययन के बारे में बताया गया है. कांफ्रेंस में दावा किया गया है कि डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित 3 लाख लोगों के हेल्थ रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया जिनमें 1.65 लाख लोगों ने वीगोभी या ओजेंपिक की खुराक ली थी. इस दवा के साइड इफेक्ट्स में पाया गया कि यह दवा पेट को खाली करने की गति और इंसुलिन प्रोडक्शन को धीमा कर देती है. इससे पेट संबंधी कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती है.
साइड इफेक्ट्स के प्रति चौकन्ना रहने की जरूरत
इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ कंसास में मेडिसीन विभाग में प्रोफेसर डॉ. प्रतीक शर्मा कहते हैं कि चूंकि यह दवा नई है लेकिन इसके फायदे भी साबित हो चुके हैं. इसके बावजूद हम इसकी पूरी क्षमता और लंबे समय तक इस दवा को लेने के साइड इफेक्ट्स के बारे में जानना चाहते हैं. ऐसे में किसी भी व्यक्ति को इस दवा को लेने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए और बिना डॉक्टरों की सलाह से इसे नहीं लेनी चाहिए. फोर्टिस सी डॉक के चेयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा ने बताया कि भारत में जो टैबलेट मिल रहा है उसकी एक महीने की कीमत 10 हजार रुपये है. लेकिन इससे ब्लड शुगर और वजन कम किया जा सकता है और इससे किडनी की गंभीर बीमारी को भी ठीक किया जा सकता है. हालांकि इसके साइड इफेक्ट्स के प्रति भी हमें सतर्क रहने की जरूरत है.
कैसे होता है पेट का लकवा
मायो क्लीनिक के मुताबिक पेट के लकवे को मेडिकल भाषा में गैस्ट्रोपेरेसिस कहते हैं. पेट का लकवा ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से आंत के मसल्स कमजोर हो जाते हैं. इससे आंत का मूवमेंट कमजोर होने लगता है. सामान्यतया मजबूत आंत के मसल्स अपने आप संकुचित होते रहते हैं जिसके कारण भोजन आंतों में पचकर आगे बढ़ता जाता है. लेकिन अगर पेट में लकवा हो गया तो मूवमेंट कम हो जाता है जिससे भोजन बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ता है. इससे पेट हमेशा भरा हुआ महसूस होता है. इसमें सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि पेट खाली नहीं होता. पेट में लकवा का वास्तविक कारण क्या है, इसके बारे में सही से पता नहीं है. लेकिन डायबिटीज, कुछ अन्य बीमारियां और कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट्स से यह बीमारी हो सकती है. उल्टी, मतली, पेट फूलना, पेट में दर्द, हमेशा पेट भरा हुआ महसूस होना, एसिड रिफलेक्स, भूख की कमी आदि इस बीमारी के लक्षण है.
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FIRST PUBLISHED : May 27, 2024, 15:28 IST