जयपुर. वर्षभर हरी पतियों वाले खेजड़ी के पेड़ को मरुस्थल का कल्पवृक्ष कहा जाता है. यह पेड़ किसानों के लिए वरदान माना जाता है. इस पेड की पत्तियां पशु चारा के रूप में सबसे पौष्टिक मान जाती हैं. मोटी तना वाला खेजड़ी का पेड़ किसानों के खेतों में आसानी से पाया जाता है.
खेजड़ी भूमि को उपजाऊ बनाने के साथ ही किसानों के लिए अतिरिक्त फसल का काम करती है. यह पेड़ हमेशा हरा और घना रहने की कारण गर्मियों में राहत का काम करता है.
खेजडी को राज्य वृक्ष घोषित किया है और खेजड़ी को संरक्षित करने के लिए कानून भी बनाया है. खेजड़ी की छाल कठोर होती है इस पर भूरे रंग की छोटी-छोटी पत्तियां होती है. इसकी टहनियां पतली और लंबी होती है जो ईधन का उपयोग में ली जाती है. खेजड़ी को शमी वृक्ष भी कहां जाता है.खेजड़ी के फल को सांगरी कहां जाता है जो स्वादिष्ट सब्जी के तौर पर जानी जाती है.
आयुर्वेदिक डॉक्टर किशनलाल बताते हैं कि खेजडी की छाल, पत्ते, जड़ औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इस पेड़ की छाल में दरार होती है जो सफेद भूरे रंग का होता है. धार्मिक दृष्टि से खेजड़ी पवित्र पेड़ माना जाता है. खेजडी की लकड़ी का प्रयोग यज्ञ व हवन में भी किया जाता रहा है.
खेजड़ी के पेड़ के आयुर्वेदिक फायदे
आयुर्वेदिक डाक्टर किशनलाल ने बताया कि खेजड़ी की छाल पत्ते व जड़ औषधीय गुणों से भरपूर है. आयुर्वेद में इसका प्रयोग औषधि बनाने में किया जाता है. खेजड़ी की छाल का काढ़ा पीने से खांसी और फेफड़ों की सूजन में तुरंत आराम मिलता है. इसकी छाल का लेप बिच्छू के डंक के जहर उतारने में सहायक होती है इसके लेप से तुरंत आराम मिलता है.
वहीं खेजड़ी की छाल को पीसकर चर्म रोगों के इलाज में तुरंत आराम मिलता है. इसके अलावा खेजड़ी को कफ और पित्त को दूर करने में बहुत फायदेमंद औषधि मानी जाती है.
रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाने में सहायक
खेजड़ी के लगातार सेवन से शरीर की रक्त वाहिकाएं संकुचित होती हैं जिससे रक्त शोधक मैं मदद मिलती है. इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर की कमजोरी दूर करने में सहायक होते हैं. आयुर्वेद में खेजड़ी की छाल व काढे का औषधीय प्रयोग किया जाता है. खेजड़ी के पेड़ में मौजूद तत्व पेट के कीड़े मारने में सहायक होते हैं. खेजड़ी दस्त,पाइल्स,पेट के कीड़े जैसी समस्याओं में कारगर इलाज है.
खेजड़ी के पेड़ का धार्मिक महत्व
हिंदू पुराणों में खेजड़ी के पेड़ को पवित्र पेड़ माना जाता है. लोक देवता गोगाजी का स्थान खेजड़ी के वृक्ष के नीचे ही बनाया जाता है. इसमें भगवान शिव का वास होता है. खेजड़ी के वृक्ष का वेदों में भी वर्णन मिलता है. इस पेड़ को पवित्र पेड़ माना गया है. जन्माष्टमी और गोगा नवमी के दिन खेजड़ी की पूजा की करना शुभ होता है. शादी-विवाह और त्योहारों में खेजड़ी को तुलसी की तरह शुभ माना जाता है. खेजड़ी की लकड़ी का इस्तेमाल यज्ञ में किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 23:20 IST