हजारीबाग. पंचकर्म आयुर्वेद की सदियों पुरानी इलाज की पद्धति है. जिसके माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है. पंचकर्म को एक महंगा इलाज पद्धति माना जाता है. इसके जरिए इलाज करवाने में लाखों रुपए का खर्च आता है. लेकिन अब इस पद्धति से हजारीबाग जिले में नि: शुल्क इलाज करवाया जायेगा. इसके लिए भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के द्वारा हजारीबाग के दीपूगढ़ा में 55 लाख की राशि से पंचकर्म चिकित्सा भवन बन के तैयार हो चुका है.
निशुल्क इलाज होगा मुहैया
इस संबंध में हजारीबाग के जिला आयुष पदाधिकारी श्याम नंदन तिवारी बताते हैं कि यहां पर पंचकर्म के माध्यम से निशुल्क इलाज लोगो को मुहैया करवाया जाएगा. अगर इलाज के दौरान किसी खास वस्तु या दवाई की जरूरत पड़ी तो ही उनसे खरीदारी करवाई जाएगी. पंचकर्म भवन में कुल 10 मरीजों का उपचार एक साथ किया जायेगा. इसके शुरुआत के साथ ही लोग कम खर्च पर पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से अपना इलाज करवा पाएंगे.
उन्होंने आगे बताया कि हजारीबाग में पंचकर्म चिकित्सा भवन बनकर अब तैयार हो चुका है. इसका हैंडोवर भी हजारीबाग आयुष विभाग कर दिया गया है. हम लोगों का प्रयास हुआ कि यथाशीघ्र पंचकर्म भवन में इलाज की प्रक्रिया की शुरूवात किया जाए. इसके लिए झारखंड आयुष विभाग से मेडिकल ऑफिसर और स्टाफ की मांग की गई है. साथ ही ऑपरेटरस खरीदने के लिए फंड की मांग की गई है.
क्या होता है पंचकर्म
निरोग काया पंचकर्म के डॉक्टर पवन कुमार गौरव बताते हैं कि पंचकर्म आयुर्वेद की एक पारंपरिक विधि है, जिसके माध्यम से तन से लेकर मन तक को शुद्ध किया जाता है, ताकि बॉडी में उपलब्ध विषाक्त को बाहर निकाला जा सके. पंचकर्म में पांच क्रियाएं होती है, जिसके माध्यम से रोगों का उपचार किया जाता है. वो पांच प्रक्रिया हैं वमन, विरेचन, नस्य, रक्तमोक्षण और अनुवासनावस्ती.
उन्होंने आगे बताया कि पंच कर्म के माध्यम से शारीर में मौजूद सभी प्रकार के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है, ताकि पुराना से पुराना रोग ठीक किया जा सके. पंचकर्म से मुख्य रूप से पुराने से पुराने रोग जैसे गठिया, साइट्स, आर्थराइटिस, मधुमेह, तनाव, गठिया, लकवा, सिरदर्द व चिंता, एड़ी में दर्द, जोड़ों में दर्द, फटी व थकी एड़ियों में फायदा, स्मृति दोष, नेत्र रोग, मानसिक तनाव आदि शारीरिक और मानसिक रोगों में इसका कुशल प्रभाव देखने को मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 17:08 IST