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Sunday, March 23, 2025

आईआईटी मद्रास ने ब्रेस्ट कैंसर को ठीक करने की नई दवा निकाली, साइड इफेक्ट बिल्कुल नहीं, पेटेंट भी करा लिया

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IIT New Breast Cancer Drug: आईआईट मद्रास ने एक ऐसी तकनीक विकसित कर ली जिसके माध्यम से ब्रेस्ट कैंसर की दवा सीधे कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करेगी. इससे हेल्दी कोशिकाएं नहीं मरेगी और कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.

ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की नई तकनीक.

हाइलाइट्स

  • आईआईटी मद्रास ने ब्रेस्ट कैंसर की नई दवा विकसित की.
  • नई दवा से कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.
  • तकनीक का पेटेंट भी कराया गया है.

IIT New Breast Cancer Drug: आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिकों ने ब्रेस्ट कैंसर की ऐसी तकनीक तैयार की जिससे दवा सीधे कैंसर कोशिकाओं को मार देती है और इससे कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता. अब तक जो ब्रेस्ट कैंसर की दवा है उसे खाने के बाद हेल्दी कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती है जिसके कारण बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट होता है लेकिन आईआईटी मद्रास द्वारा बनाई गई तकनीक में दवाई सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को ही टारगेट करती है. आईआईटी मद्रास को इस तकनीकी का पेटैंट भी मिल गया है. ब्रेस्ट कैंसर से हर साल भारत में एक लाख से ज्यादा महिलाओं की मौत हो जाती है. यह भारत में तेजी से बढ़ता जा रहा है.

सीधे कैंसर कोशिकाओं पर चोट
इस तकनीक में नैनो पार्टिकल की मदद ली जाती है. आईआईटी मद्रास में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग की एसिस्टेंट प्रोफेसर स्वाति सुधाकर ने बताया कि नैनोआर्कियोसोम जो नैनोपार्टिकल होता है उसमें दवा को घुसा दिया जाता है. इससे यह दवा सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करता है. हेल्दी कोशिकाओं पर कोई असर नहीं करता. यह सिर्फ दवा को सही जगह पहुंचाने की तकनीक है. उन्होंने कहा है कि दवा को कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचाने का जो बायोकंपेटिबल है वह हेल्दी कोशिकाओं के लिए टॉक्सिक नहीं होता है. इसलिए यह कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी दवा का बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. दरअसल, वर्तमान जो कैंसर के लिए दवा दी जाती है उससे हेल्दी कोशिकाओं पर भी आक्रमण हो जाता है जिसके कारण गंजापन, मतली, थकान और इम्युन सिस्टम में कमजोरी जैसे साइड इफेक्ट्स आने लगते हैं.

लाखों मरीजों को फायदा
इस रिसर्च रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के मैटेरियल एडवांस जर्नल में प्रकाशित किया गया है. स्वाति सुधाकर ने बताया कि यह तकनीक कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है. इससे न सिर्फ इलाज में परिवर्तन आएगा बल्कि लाखों मरीजों की जिंदगियां भी बच जाएगी. इससे एडवांस स्टेज में भी इलाज संभव हो सकता है जिस पर अभी रिसर्च चल रही है. अब इस तकनकी का जानवरों पर ट्रायल किया जाएगा. इसमें यह देखा जाएगा कि कितना डोज इसके लिए कारगर है. फिर इस दवा के अन्य सेफ्टी के बारे में विश्लेषण किया जाएगा. इसके बाद फार्मा कंपनी इस नैनो पार्टिकल वाली दवा को तैयार करेंगे जिससे ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित लाखों लोगों को फायदा होगा.

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