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Thursday, December 12, 2024

इस पौधे में छिपा है औषधीय खजाना,सिर्फ सर्दियों में खिलते हैं फूल,स्किन से लेकर पेट जैसी कई समस्याओं का समाधान!

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Bakuchi Benefits in Hindi: क्या आपने कभी बावची या बाकुची (Bakuchi) के बारे में सुना है? शायद यह नाम आपके लिए अनजाना हो, लेकिन बता दें कि बावची को आयुर्वेद में “गुणों की खान” माना जाता है. बावची का पौधा साधारण-सा दिखते हैं, लेकिन इस पौधे में औषधीय गुणों का खजाना छिपा है. बता दें कि इसका इस्तेमाल कई गंभीर बीमारियों के इलाज और कई समस्याओं का अंत हो सकता है, तो आइए जानते हैं कि कैसे बावची आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है…

बावची क्या है?
बता दें कि बावची (बाकुची) एक छोटा पौधा है, जो ज्यादातर पथरीली जमीन पर उगता है. बावची का वानस्पतिक नाम Psoralea corylifolia है. बता दें कि इसके बीजों और जड़ों से तेल और दवाएं बनाई जाती हैं. सबसे खात बात ये है कि सर्दियों में इसमें फूल आते हैं और गर्मियों में ये फल में बदल जाते हैं. इसके फायदों की बात करें तो यह त्वचा से लेकर दांतों और पेट की बीमारियों तक में फायदा पहुंचा सकता है.

बाकुची के त्वचा के लिए फायदे (Benefits of Bakuchi for skin)
बता दें कि बाकुची त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.

सफेद दाग का इलाज: 1mg.com वेबसाइट के मुताबिक, बावची के बीजों को पीसकर गोमूत्र के साथ मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से फायदा मिलता है.
कुष्ठ रोग: यहां तक की कि बावची के तेल को तुवरक और चंदन के तेल के साथ मिलाकर लगाने से गंभीर त्वचा रोगों (severe skin diseases) में फायदा होता है.
झाइयां और दाग-धब्बे: बता दें कि बावची तेल का उपयोग त्वचा पर लगाने से झाइयों और दाग-धब्बों में कमी आ सकती है.

बाकुची के दांतों के लिए फायदे (Benefits of Bakuchi for teeth)
बावची जड़ों का उपयोग दांतों के रोगों के लिए किया जाता है.

दांत दर्द: बावची की जड़ और फिटकरी को पीसकर मंजन करने से दांत दर्द में राहत मिल सकती है.
पायरिया और संक्रमण: बावची पाउडर से नियमित मंजन करने से दांतों के कीड़े और पायरिया जैसी समस्याएं खत्म होती हैं.

बाकुची के पाचन तंत्र के लिए उपयोगी (Bakuchi for digestive system)
बावची पेट के रोगों के लिए भी लाभकारी है.

पेट के कीड़े: बता दें कि बावची चूर्ण के सेवन से पेट के कीड़े खत्म होते हैं.
दस्त रोकने में: बावची के पत्तों का साग खाने से दस्त की समस्या (Diarrhea problem) में आराम मिल सकता है.
बवासीर: बावची, हरड़ और सोंठ के मिश्रण को गुड़ के साथ लेने से बवासीर जैसी समस्या से राहत मिलती है.

फाइलेरिया और पीलिया के लिए बाकुची (Bakuchi for filariasis and jaundice)
फाइलेरिया: बावची के पेस्ट को प्रभावित हिस्से पर लगाने से फाइलेरिया में फायदा होता है.
पीलिया: पुनर्नवा के रस में बावची पाउडर मिलाकर सेवन करने से पीलिया में राहत मिलती है.

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एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण
बावची में मौजूद केमिकल “बाकूचियोल” एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर है. इससे आपकी त्वचा जवान (skin young) बनी रहती है और उम्र बढ़ने के लक्षणों (signs of aging) को कम हो सकते हैं. रिसर्च बताती है कि यह विटामिन-ए (रेटिनॉल) का बेहतर विकल्प हो सकता है.

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उपयोग में सावधानियां
बता दें कि बावची के अत्यधिक उपयोग से बचना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह से ही इस्तेमाल करें. खासकर त्वचा रोगों (skin diseases) के लिए बाहरी इस्तेमाल करते समय धूप में ज्यादा न निकलें क्योंकि इससे त्वचा पर जलन हो सकती है.

Tags: Local18, Special Project

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.



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