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Sunday, September 29, 2024

गाय-भैंस नहीं यह जानवर है ATM की मशीन, लागत-मेहनत बहुत कम, कमाई के मामले में नंबर-1

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सोनभद्र: बकरी पालन को अक्सर गरीबों का एटीएम कहा जाता है, और इसके पीछे कई मजबूत कारण है. पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, गाय-भैंस और पोल्ट्री पालन के मुकाबले बकरी पालन न केवल आसान है, बल्कि सस्ता भी है. जरूरत है तो बस वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने की. बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें न सिर्फ दूसरों को रोजगार दिया जा सकता है. बल्कि खुद भी अच्छी इनकम की जा सकती है. कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने का यह एक बेहतरीन जरिया बनता जा रहा है.

बकरी पालन के लिए सरकार की सहायता
बकरी पालन में मुनाफा कमाने के साथ-साथ सरकारी ग्रांट्स भी मिल सकती हैं. बकरी से मिलने वाले उत्पादों जैसे दूध, मांस और चमड़ा की बाजार में अच्छी मांग है. ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन से रोजगार की असीम संभावनाएं हैं. यही कारण है कि हर साल बकरियों की संख्या 3.50% की दर से बढ़ रही है, भले ही 39.70% बकरियों का उपयोग मांस के लिए किया जाता है.

उचित नस्ल और आहार का महत्व
बकरी पालन में सफलता पाने के लिए सही नस्ल और उचित आहार व्यवस्था बेहद महत्वपूर्ण है. भारत में बकरियों की लगभग 20 नस्लें हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में जमुनापारी (दूध उत्पादन के लिए) और बरबरी (मांस उत्पादन के लिए) सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी नस्ल, सही आहार और उचित रखरखाव से बकरी पालन में बेहतर उत्पादन और मुनाफा पाया जा सकता है.

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कम लागत में अधिक मुनाफा
कृषि और पशुपालन विशेषज्ञ बाबूलाल मौर्य ने लोकल 18 से खास बातचीत में बताया कि बकरी पालन पोल्ट्री और सूअर पालन के मुकाबले कम पैसों में शुरू किया जा सकता है. गाय-भैंस के मुकाबले बकरी का चारा भी सस्ता पड़ता है. जहां गाय-भैंस का चारा 100 रुपये तक पहुंचता है, वहीं बकरियों का चारा केवल 20 रुपये में उपलब्ध हो जाता है.

बकरी पालन का मुनाफा
बकरी पालन में सही तकनीक का उपयोग करके इसे किसी भी खेती या उद्योग से कम नहीं आंका जा सकता. इससे मुनाफा कई रूपों में मिलता है, और सबसे बड़ी बात यह है कि बकरी को किसी भी समय बेचा जा सकता है. जिससे तुरंत धन प्राप्त किया जा सकता है. इसी कारण से बकरी को “गरीबों की गाय” और “गरीबों का ATM” कहा जाता है.

Tags: Agriculture, Local18



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