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Thursday, April 25, 2024

चुनाव आयोग की पैनी नजर: उम्मीदवारों को महंगा पड़ सकता है FB पर प्रचार, अकाऊंट में जुड़ेगा खर्च

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लुधियाना

लोकसभा चुनाव के दौरान फेसबुक पर प्रचार उम्मीदवारों को महंगा पड़ सकता है, क्योंकि चुनाव आयोग इस प्लेटफार्म के जरिए उम्मीदवारों की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रहा है, जिसके आधार पर समारोहों में होने वाला खर्च अकाऊंट में जुड़ जाएगा। यहां बताना उचित होगा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से देश की राजनीति पर सोशल मीडिया काफी हावी हो गया है। अब तो सोशल मीडिया सियासी पार्टियों व उम्मीदवारों की मजबूरी बन गया है। इसके तहत सियासी पार्टियों व उम्मीदवारों द्वारा ग्राऊंड के अलावा सोशल मीडिया के जरिए प्रचार करने पर भी जोर दिया जा रहा है। सियासी पार्टियों व उम्मीदवारों द्वारा अपनी उपलब्धियां, विजन बताने व विरोधियों पर हमले व वोट अपील करने के लिए फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स एप व इंस्टाग्राम का सहारा लिया जा रहा है। यही नहीं उम्मीदवारों व नेताओं द्वारा अपनी चुनावी गतिविधियों को इसी प्लेटफार्म पर शेयर किया जा रहा है। इसी बीच चुनाव आयोग ने कोड ऑफ  कंडक्ट के नियमों का उल्लंघन करने के मामले में सियासी पार्टियों व उम्मीदवारों पर शिकंजा कसने के लिए सोशल मीडिया की मदद लेने का फार्मूला अपनाने का फैसला किया है। सोशल मीडिया की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है, जहां नेताओं द्वारा शेयर की जाने वाली फोटोज के आधार पर समारोह व प्रचार पर होने वाले खर्च का आकलन करके उनके अकाऊंट में जोड़ा जाएगा।

चुनाव आयोग द्वारा सोशल मीडिया के जरिए सियासी पार्टियों व उम्मीदवारों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए राज्य सरकारों व पुलिस के साइबर सैल की भी मदद ली जा रही है, जिनके पास पहले से ही सोशल मीडिया के कुछ प्लेटफार्म को ट्रैक करने का असैस मिला है। फेसबुक द्वारा चुनाव आयोग के साथ जो जानकारी शेयर की गई है उससे सियासी पार्टियों व उम्मीदवारों द्वारा डाली जा रही प्रमोशनल पोस्ट की डिटेल भी सामने आ रही है। इसी के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा चैक किया जा रहा है कि उक्त लोगों ने फेसबुक को किए भुगतान की जानकारी अपने अकाऊंट में दी है या नहीं अन्यथा उस खर्च को उनके अकाऊंट में जोड़ा जाएगा।

चुनाव आयोग द्वारा फेसबुक के जरिए सियासी पार्टियों व उम्मीदवारों की गतिविधियों पर नजर रखने का जो फार्मूला अपनाया गया है, उससे बिना मंजूरी के हो रहे समारोहों की भी पोल खुलेगी। नेताओं द्वारा किसी भी प्रोग्राम की फोटोज अपलोड करते हुए उसकी लोकेशन भी शेयर की जा रही है। उसी के आधार पर क्रॉस चैकिंग की जाएगी कि क्या प्रोग्राम करने के लिए चुनाव आयोग की मंजूरी ली गई थी। अगर ऐसा न हुआ तो बिना मंजूरी प्रोग्राम करने के आरोप में नोटिस जारी करने के अलावा उस प्रोग्राम का खर्च भी उम्मीदवार के अकाऊंट में जोड़ा जाएगा। आमतौर पर देखने को मिलता है कि सियासी पार्टियों व उम्मीदवारों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ  प्रचार करने के लिए आपत्तिजनक शब्दावली व फोटोज को सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है। वैसे तो ऐसी पोस्ट करने वाले के खिलाफ  आई.टी. एक्ट के तहत कार्रवाई करने का प्रावधान है लेकिन इसमें काफी समय लग जाता है। इसके मद्देनजर फेसबुक ने सीधा चुनाव आयोग को लिंक दे दिया है, जिसके जरिए वह आपत्तिजनक पोस्ट को डिलीट कर सकते हैं।

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