CJI डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहुंचने को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है। अब कांग्रेस का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को इफ्तार पार्टी और घर पर निजी धार्मिक आयोजन में अंतर नहीं पता। बुधवार को सीजेआई के घर पर आयोजित गणेश पूजा में पीएम मोदी भी शामिल हुए थे। उन्होंने इससे जुड़ी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी।
क्या बोली कांग्रेस
मुंबई कांग्रेस ने कहा, ‘भाजपा के कुछ नेता पूर्व पीएम मनमोहन सिंह जी की तत्कालीन सीजेआई केजी बालकृष्णन के साथ इफ्तार पार्टी की तस्वीर शेयर कर गणेश पूजा के लिए पीएम मोदी के CJI के घर जाने को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।’ पार्टी ने लिखा, ‘वो यह नहीं समझ पाए कि मीडिया और पब्लिक के सामने होने वाले इफ्तार जैसे सार्वजनिक आयोजन और किसी के घर पर होने वाले निजी धार्मिक आयोजन में क्या फर्क होता है।’
पार्टी का कहना है कि दोनों को एकसाथ जोड़कर दिखाया जाना गुमराह करने वाले है। इसके अलावा शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे), राष्ट्रीय जनता दल जैसे विपक्षी दलों ने भी पीएम मोदी के सीजेआई के आवास पर जाने पर आपत्ति जताई थी।
भाजपा ने शेयर की थीं पूर्व पीएम की तस्वीरें
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि जो लोग पीएम मोदी के इफ्तार पार्टी में जाने की तारीफ करते थे, उन्हें गणेश पूजा में देखकर पेट में दर्द होने लगा। उन्होंने लिखा, ‘कार्यपालिका और न्यायपालिका एक साथ भगवान के आगे झुक रही है, जिनके भारत में करोड़ों भक्त हैं। यह भारत की धर्मनिरपेक्षता की असलीताकत को दर्शाता है।’
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने पूर्व पीएम सिंह और जस्टिस बालकृष्णन की मुलाकात के फोटो पोस्ट किए थे। उन्होंने लिखा था, ‘साल 2009 में पीएम मनमोहन सिंह की इफ्तार पार्टी में तत्कालीन सीजेआई केजी बालकृष्णन शामिल हुए थे। ये सेक्युलर है, न्यायपालिका सुरक्षित है। पीएम मोदी सीजेआई के घर पर गणेश पूजा में शामिल हुए, तो हे भगवान न्यायपालिका ने भ्रष्ट है।’
इससे पहले एक पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘गणेश पूजा में शामिल होना कोई अपराध नहीं है। शुभ समारोहों, शादियों, कार्यक्रमों में कई मौकों पर न्यायपालिका और राजनेता मंच साझा करते हैं। लेकिन अगर प्रधानमंत्री सीजेआई के घर पर इसमें शामिल होते हैं, तो उद्धव सेना के सांसद CJI और सुप्रीम कोर्ट की अखंडता पर सवाल उठाते हैं। कांग्रेस ईकोसिस्टम सुप्रीम कोर्ट पर ऐसे हमले करता है, जैसे राहुल गांधी ने पूर्व में किए थे। यह न्यायालय की शर्मनाक अवमानना और न्यायपालिका का अपमान है।’