विकाश कुमार/चित्रकूट: धर्मनगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोस्थली रही है.क्योंकि यहां प्रभु श्री राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपना वनवास काल व्यतीत किया था. ऐसे में हम धर्मनगरी से आपको एक ऐसी नदी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें दूर दराज से आकर भक्त स्नान करते हैं. अमावस्या और पूर्णिमा के दिन इस नदी में नहाने वालों का ताता भी लगा रहता है. आइए जानते हैं कि आखिर यह नदी खास क्यों है.
अनसूईया माता के तप से उत्पन्न हुई नदी
चित्रकूट के रामघाट तट से निकली मंदाकिनी नदी की यह नदी इतनी पवित्र है कि यहां भक्त दूर-दूर से आकर स्नान करते हैं. अगर इस नदी की उत्पत्ति की बात की जाए तो यह नदी अनसूईया माता के तप से उत्पन्न हुई थी. मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने से लोगों के पाप जन्म जन्मांतर के लिए धुल जाते हैं. और लोगों को मोष्य की प्राप्ति भी होती है. वनवास काल के दौरान प्रभु श्री राम भी इसी पवित्र मंदाकिनी नदी में स्नान कर इसके जल से मत गजेंद्र नाथ का जलाभिषेक किया करते थे.
महंत ने दी जानकारी
इस संबंध में चित्रकूट के महंत दिव्य जीवन दास ने जानकारी देते हुए बताया कि चित्रकूट में मंदाकिनी नदी का बहुत ही विशेष महत्व है.उन्होंने बताया कि जब तुलसीदास जी को बनारस काशी अयोध्या में प्रभु श्री राम के दर्शन नहीं हुए, तब बजरंगबली ने बताया कि आपको प्रभु श्री राम के दर्शन चित्रकूट में होंगे. तभी कलयुग में गोस्वामी तुलसीदास जी को रामघाट के तट पर प्रभु श्री राम के दर्शन हुए थे.मां मंदाकिनी सती अनसूया के तप से निकली है. उन्होंने आगे की जानकारी में बताया कि अपने पापों का छार करने के लिए प्रयागराज अचला सप्तमी के दिन चित्रकूट में आकर लोग मां मंदाकिनी में स्नान कर करते हैं.
अमावस्या और पूर्णिमा पर लगती है भीड़
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान करने वालों की भारी भीड़ लगती है. दूर-दूर से लोग आते हैं. कहा जाता है कि जीवन की सारी परेशानियां यहां स्नान करने से दूर हो जाती हैं.
FIRST PUBLISHED : August 31, 2024, 11:25 IST