कोडरमा. जंगल में फलने वाला पियार का फल इन दिनों बाजार में आकर्षण का केंद्र बन रहा है. बाजार में पियार नामक फल प्यार की मिठास बनकर बिक रहा है. जंगलों में मिलने वाले छोटे आकार के बैंगनी और काले रंग के पियार के फल को बाजारों में इन दिनों लोग खूब पसंद कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोग जंगलों से इसे तोड़ कर बाजारों में इसकी बिक्री कर रहे हैं. भीषण गर्मी में इस जंगली फल की मांग काफी बढ़ गई है. इस फल के सेवन से इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है.
महुआ का सीजन समाप्त होते ही जंगलों में पियार, कनौदा जिसे करौंदा भी कहते हैं, कटार व अन्य फल मिलने लगते हैं. खासकर चतरा के आंचलिक बाजारों में इन दिनों पियार, कनौदा और कटार मिल रहे हैं. जंगलों में ये फल प्रचुर मात्रा में मिल रहे हैं. पत्थलगडा, नावाडीह, गांगुली, मेराल, द्वारी व अन्य बाजारों में 10 रुपए दोना पियार और कटार मिल रहा है. चतरा-बालूमाथ, चतरा-हजारीबाग वाया, कटकमसांडी, चतरा-डोभी पथ, चतरा- सिमरिया,व अन्य सड़कों केकिनारे कई बच्चे व ग्रामीण पियार और कटार बेचते दिख जायेंगे.
अपने अनोखे स्वाद की वजह से लोगों की पसंद है पियार
लावालौंग, कुंदा व अन्य प्रखंडों में भी ये आसानी से मिल जाते हैं. पत्थलगडा, सिमरिया और कटकमसांडी के सीमावर्ती जंगलों में तेंदू, पियार, कटार, कनौदा व अन्य फलों के पेड़ पौधे बहुतायत मात्रा में हैं. ग्रामीण जंगलों से ये फल इकट्ठा कर साप्ताहिक बाजार में बेचने के लिए लाते हैं. ये फल बाजार में पहुंचते ही आसानी से बिक जाते हैं. इन फलों से कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. पियार अपनी मिठास और अनोखे स्वाद के लिए जाना जाता है. झारखंड के जंगलों में मिलने वाले पियार के दाने से चिरौंजी भी निकाली जाती है.
स्थानीय लोगों के लिए बना जीविकोपार्जन का साधन
पत्थलगडा के स्थानीय जंगलों में मिलने वाला पियार, कटार, कनौदा व अन्य फल नेचुरल है और यह इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाता है. यह प्रकृति का अनुपम उपहार है जो हमें आसानी से मिल जा रहा है. जंगली फल सस्ता होने के साथ लोगों को रोजगार से भी जोड़ता है.
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FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 11:33 IST